लघुकथा

कमली

कमली।
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कमली ….कमली पुकार पुकार के बच्चे उसके पीछे हाथ में पत्थर लिए दौड़ रहे थे. अपने फूले पेट को आंचल से ढ़के वह इधर से उधर बेबस हिरनी की तरह भाग रही थी. अचानक एक ड्योढ़ी का द्वार खुला….. एक संभ्रांत महिला बाहर निकली वह सभी बच्चों को हड़काते हुए गुस्से से बोली, “शर्म नहीं आती किसी बेबस लाचार को सताते हुए ” तभी कमली भागकर तीव्रता से ड्योड़ी के भीतर घुस गई. महिला ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए… बेटे को पानी का गिलास लाने को बोला …वह घबराई सी उसकी और देख रही थी…महिला पानी का गिलास उसे थमाते हुए बोली, “ड़रो मत बेटी यहां तुम्हें कोई खतरा नहीं… बात करते करते ध्यान उसके पेट पर जाकर अटक गया था,महिला समझ गई थी कि वह गर्भवती है,झट से भीतर जाकर उसके खाने पीने का सामान ले आई. न जाने कितने दिनों से उसने भरपेट खाना नहीं खाया था वह खाने में तल्लीन हो गई ।महिला शांति से उसकी और निहारती रही कमली के चेहरे पर तृप्ति के भाव टपक रहे थे.. अचानक वोह जोर जोर से रोने लगी महिला का हाथ पकड़ मासूम बच्चे की तरह शिकायत करने लगी… “उसने मुझे निकाल दिया ,”महिला ने प्रश्न सूचक नजरों से देखते हुए पूछा, “कहां रहती हो, “?वह गली के नुक्कड़ की तरफ इशारा करते हुए बोली, “मंदिर में” अब उसे कुछ और पूछने की आवशयकता न रही थी।
स्वरचित:विजेता सूरी,’रमण
29 3.2018

विजेता सूरी

विजेता सूरी निवासी जम्मू, पति- श्री रमण कुमार सूरी, दो पुत्र पुष्प और चैतन्य। जन्म दिल्ली में, शिक्षा जम्मू में, एम.ए. हिन्दी, पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उपाधि, वर्तमान में गृहिणी, रेडियो पर कार्यक्रम, समाचार पत्रों में भी लेख प्रकाशित। जे ऐंड के अकेडमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजिज जम्मू के 'शिराज़ा' से जयपुर की 'माही संदेश' व 'सम्पर्क साहित्य संस्थान' व दिल्ली के 'प्रखर गूंज' से समय समय पर रचनाएं प्रकाशित। सृजन लेख कहानियां छंदमुक्त कविताएं। सांझा काव्य संग्रह कहानी संग्रह प्रकाशित।