कविता

कौन अपना ???

कहां, कब कोई हमेशा साथ होता है,
हमेशा कोई संग रहे…..
यह सपना कब साकार होता है ?
वक्त के साथ बदल जाती है फितरत सबकी।
जब तक स्वार्थ हो,तब तक ही साथ होता है।
सत्य के पथ पर चलते हुए,
अकसर असत्य का दीदार होता है!
फूलों को चुनने निकलो अगर
काँटों का यकीनन साथ होता है!
गुजर जाते हैं बेइंतहा लम्हे अक्सर खामोशियों में,
गिले शिकवों में तो फक्त वक्त बर्बाद होता है!
अकसर निभा जाते हैं वोह… रिशते दिल से
जिनसे बेवजह कुछ वक्त का साथ होता है।

विजेता सूरी, ‘रमन’

विजेता सूरी

विजेता सूरी निवासी जम्मू, पति- श्री रमण कुमार सूरी, दो पुत्र पुष्प और चैतन्य। जन्म दिल्ली में, शिक्षा जम्मू में, एम.ए. हिन्दी, पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक उपाधि, वर्तमान में गृहिणी, रेडियो पर कार्यक्रम, समाचार पत्रों में भी लेख प्रकाशित। जे ऐंड के अकेडमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजिज जम्मू के 'शिराज़ा' से जयपुर की 'माही संदेश' व 'सम्पर्क साहित्य संस्थान' व दिल्ली के 'प्रखर गूंज' से समय समय पर रचनाएं प्रकाशित। सृजन लेख कहानियां छंदमुक्त कविताएं। सांझा काव्य संग्रह कहानी संग्रह प्रकाशित।