कौन अपना ???
कहां, कब कोई हमेशा साथ होता है,
हमेशा कोई संग रहे…..
यह सपना कब साकार होता है ?
वक्त के साथ बदल जाती है फितरत सबकी।
जब तक स्वार्थ हो,तब तक ही साथ होता है।
सत्य के पथ पर चलते हुए,
अकसर असत्य का दीदार होता है!
फूलों को चुनने निकलो अगर
काँटों का यकीनन साथ होता है!
गुजर जाते हैं बेइंतहा लम्हे अक्सर खामोशियों में,
गिले शिकवों में तो फक्त वक्त बर्बाद होता है!
अकसर निभा जाते हैं वोह… रिशते दिल से
जिनसे बेवजह कुछ वक्त का साथ होता है।
— विजेता सूरी, ‘रमन’