कविता

पिता …एक विशालतम ह्रदय एक विशालतम व्यक्तित्व

“पिता”
माथे पर न दिखने वाली शिकन
मन में न दिखने वाली दर्द भरी चुभन
हर पिता की अनकही निशानी है
धीर गंभीर होना हर पिता की निशानी है

बेटी के लिए बाहर उमड़ता प्यार
बेटे के लिए मन में छुपा दुलार
हर पिता की एक सी कहानी है
जिम्मेदार होना हर पिता की निशानी है

सुबह शाम घरवालों की फ़िक्र
नहीं कर सकता हर कहीं जो जिक्र
“कैसे हो बेटा” सब के यही जुबानी है
“परिवार पहला धर्म” हर पिता की जुबानी है

बेटी के सुखद जीवन की आशा
बेटे के भविष्य की जिज्ञासा
जिम्मेदारियों से भरी जिंदगानी है
कुछ ऐसी ही पिता नाम की कहानी है

कोई दशरथ से बन करते है अभिमान
कोई करे जनक सा बेटी के गुणगान
कोई पाकर कंस सा पुत्र बेमानी है
सुखी हो सब पिता यही अरदास लगानी है

$पुरुषोत्तम जाजु$

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन