बसन्त चौधरी के काव्य-संग्रह ‘चाहतों के साये में’ का भव्य लोकार्पण
नई दिल्ली : काठमांडू नेपाल के प्रख्यात कवि साहित्यकार बसन्त चौधरी के काव्य -संग्रह ‘चाहतों के साये में’ का लोकार्पण टाइम्स ग्रुप द्वारा कल शाम होटल हयात रेजेन्सी में देश के वरिष्ठ साहित्यकारों की विशेष उपस्थति में किया गया जिसमें मुख्य अतिथि फ़िल्म गीतकार समीर अंजान ,ग़ज़लकार बाल स्वरूप राही ,रमेश चंद्र पोखरियाल ‘निशंक'(पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड ),एवम टाइम्स ग्रुप से सब एडिटर गौरी रहीं ।विशेष सान्निध्य डॉ मधुप मोहता,डॉ रमा पांडे,एवं शायर दीक्षित दनकौरी का रहा ।
समीर अंजान ने अपने वक्तव्य में कहा –
‘कुछ लोग सोच कर लिखते हैं और कुछ जी कर लिखते हैं बसंत जी ने अपनी कविता को जी कर लिखा है ,यह किताब एक काव्यात्मक दस्तावेज की तरह है।
बसन्त जी की कविताओं में फिल्मी गीतों का रंग भी दिखाई पड़ता है ,ऐसा लगता है कि बसन्त जी ने ज़िन्दगी को बहुत क़रीब से देखा है।’
देश के वरिष्ठ साहित्यकार श्री बाल स्वरूप ‘राही’ ने कहा कि बसंत जी ने अपनी कविताओं में मुख्यतःएक ही विषय चुना है और वह हैं प्रेम,जिनकी एक-एक पंक्ति में प्रेम साकार हो गया है ,एक और जहाँ सारे जहां से प्रेम विलुप्त हो रहा है समाप्त हो रहा है दूसरी और बसन्त जी की कविताएं गीत प्रेम को सजीव कर रहे हैं, एक नई दिशा दे रहे हैं ।
रमेश चंद्र पोखरियाल ‘निशंक’ (पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड ) ने अपने वक्तव्य में कहा ,जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में संघर्ष करते हुए जमीन से जुड़े हुए रहकर अपनी हिम्मत के ज़रिये आसमान की बुलन्दियों को छुआ उनका नाम है बसन्त चौधरी । हम हिंदुस्तान में रहते हुए हिंदी को सम्मान नहीं दे पा रहे किन्तु बसन्त जी ने नेपाल की धरती पर हिंदी के लिए बहुत काम किया है,हिंदी को सम्मान दिया है इसकी संवेदना का मान रक्खा है,हिन्दुस्तान आपका ह्रदय से स्वागत करता है ।
पुस्तक के संपादक दीक्षित दनकौरी का धन्यवाद करते हुए डॉ रमा वर्मा ने कहा कि दीक्षित जी ने उन्हें इस खूबसूरत शाम से जोड़ा ।
रमा जी ने कहा -“भारत का समीर और नेपाल का बसन्त जब एक साथ हों तो कहने ही क्या” । भावनाओं का कैनवास जब बड़ा हो तो शब्द बौने हो जाते हैं, इनकी ग़ज़ल कविताएं नज़्में मन को छूने में सफ़ल रही हैं । सभी रचनाओं का केन्द्रीय भाव केवल प्रेम ही नहीं बल्कि कवि ने मानवता और प्रकृति को भी अपनी रचनाओं में प्रभावशाली ढंग से उकेरा है।बसन्त जी के प्रेम में एक समर्पण है, एक शक्ति है । इसी समर्पण के ज़्रिये बसन्त जी कविता को यतार्थ की ओर ले जाते हैं।
कार्यकर्म के अंत में बंसत चौधरी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा की सदा दिल की तमन्ना रहती थी के श्री बाल स्वरुप ‘राही’ जी के चरण स्पर्श करूँ कब उनसे आशीर्वाद लूं आज मेरा यह सपना भी पूरा हुआ ! समीर जी के गानों को सुनते हुए गुनगुनाते हुए बड़े हुए हैं आज उन्हीं के साथ एक ही मंच पर अपनी पुस्तक का लोकार्पण करने का अवसर प्राप्त हुआ ऐसा लगता है आज मेरा यह सपना भी साकार हुआ !
रमेश चंद्र जी व्यवहार में जितने मीठे हैं उनका व्यक्तित्व भी उतना ही मीठा है जब मुझे ज्ञात हुआ के रमेश जी आ रहे हैं ऐसा लगा जैसे इस इवेंट की गरिमा और बढ़ी है मेरा उनके सादर आगमन का धन्यवाद करता हूँ ! ‘चाहतों के साये में’ मेरी दूसरी पुस्तक है जो इस साल प्रकशित हुई है पुस्तक का नाम ‘चाहतों के साये में’ आप लोगों की लगता होगा की क्यों चाहत ही क्यूँ ? चाहत ही तो है हर मनुष्यों को आगे बढ़ने में साथ देती है राह देती है वाही लोगों को सफलता में आगे ले जाती है और जब चाहत पूरी नहीं होती तो कुंठा भी यही पैदा करती है !मगर बिना चाहत के आदमी एक पल भी ज़िन्दा नहीं रह सकता ,यह चाहत ही है जिसके साए में हम सब लोग जाते हैं ,मैं मानता हूँ मेरी लेखनी का मूल प्रेम ही है,मेरा मानना है प्रेम ही दुनिया को बदल सकता है द्वेष या घृणा कभी भी सकारात्मक चीजों में बाध्य नहीं होती प्रेम ही है जो किसी भी व्यक्ति को सकारात्मक कामों की और प्रेरित करती है ! ख़य्याम साहब जिन्होंने इस पुस्तक की भूमिका लिखी वो हमारे सर्वदा वन्दनीय रहे हैं उनका आशीर्वाद मिलना बहुत ही मेरे लिए एक बहुत ही गौरव की बात है ! मेरी पुस्तक का जो शीर्षक गीत है उसे गाने में सोनू निगम जी ने जो अपना साथ दिया है वह मेरे लिए एक अद्वितीय घटना है ,इस पुस्तक में रवि शर्मा जी ने भी अपनी शुभ कामना लिखी है ,इस पुस्तक का संपादन भाई श्री दीक्षित दनकौरी ने किया है, सभागार में उपस्थित सभी आगंतुकों का पुनः आभार व्यक्त करते हुए बसन्त चौधरी ने अपनी पुस्तक के कुछ चुनिन्दा शे’र और कविताएं भी पढीं ।
मैं नज़र में हूँ किसी की मेरा असरा कोई और है
मेरे भेष में मेरे नाम से मुझे जी रहा कोई और है
प्रस्तुति : संजय गिरि