पिता
एक कविता में कैसे बयान कर दे,
उनके बारे में जो हमारी पूरी जिंदगी थे !
कैसे शब्दों को जोडू उनके बारे में लिखने के लिए !
मन तो करता है अपने आँसुओं से लिखे !
उनके बारे में पर कुछ समय बाद
वह भी सुख कर ग़ायब हो जायेंगे !
वैसे ही जैसे आज वह हमारी जिंदगी
से चले गये आंसू के निशान
की तरह वो भी बस अपनी यादें छोड़ गए !
वह मेरी अनकही बात को वह समझ सकते थे !
मानती हु, ग़ुस्सा था उनमें पर आज मैं उस गुस्से के लिए भी
तड़पती हु आज जिंदगी में सब कुछ पास हो कर भी ,
एक अधूरा अहसास जिनको शब्दों में
नहीं हमारे आँसुओं ने बयान किया है !