कहानी

जीरो फिगर

नींद ना आने के कारण रीमा ने टीवी चला दिया पति गहरी निद्रा में सो रहे थे| रात के साढे बारह बज रहे थे| टीवी पर किसी क्लिम टी की बात हो रही थी मात्र तीन हजार रुपये में घर लाईये और पंद्रह दिनों में जीरो फिगर पाईये| दो कप चाय पीजिये अपने आपको घर बैठे बैठे पतला कीजिये| मोटे-पतले सभी लोग अपना इंटरव्यू दे रहे थे और क्लिम टी की प्रंशसा कर रहे थे| यह सब देख रीमा की नींद ही उड गयी| जिज्ञासू होकर टीवी के करीब जाकर बैठ गयी क्योंकि पति गहरी निद्रा में थे और रीमा टीवी की आवाज तेज करके उनकी नींद में हनन नहीं करना चाहती थी|

कई सारे स्त्री पुरूष अपने अपने अनुभव को बयान कर रहे थे पुरानी और नयी तस्वीरों में अंतर दिखा रहे थे| क्लिम टी मानो उन लोंगों के लिये वरदान हो यह सब देख रीमा को अपना बढा हुआ वजन कम करने की शुप्त चाहत जाग गयी| रीमा को तीन हजार रुपये ज्यादा लग रहे रहे थे मगर जीरो फिगर तीन हजार रुपये में मिल जाये इससे बढकर और ज्यादा क्या खुशी होगी| दो महीने में तीन हजार रुपये घर खर्च से बचा लेना कोई बडी बात नहीं है| अपनी जमा पुंजी को उसने बिना किसी से सलाह किये चुपचाप खर्चने की ठान ली| टीवी पर बार-बार यह बोले जाने पर की स्टॉक सीमित है जल्दी ऑर्डर बुक करायें और क्लिम टी को पीकर पंद्रह दिनों में जीरो फिगर पायें| रीमा ने मोबाईल उठाया और ऑर्डर बुक करा दिया|

अब क्या था दो दिनों बाद से उसकी विजय यात्रा प्रारम्भ होने वाली थी|

फिर रीमा ने चैनल बदला और देखा एक से बढकर एक खुबसूरत साडियों का प्रचार हो रहा था| रंग बिरंगी कहीं छोटे तो कहीं बडे फूलों से प्रिंट की हुई साडियां पहनकर नारियाँ लहरा लहरा कर चल रही थी| ध्यान से देखा तो एक ही स्त्री कई साडियाँ बदल बदलकर चल रही थी| छह साडियों का सेट दो हजार रुपये में मिल रहा था| रीमा का मन मचल गया| लेकिन दो हजार रुपये और खर्च करना उसे ज्यादा लग रहा था मगर शौक भी कोई चीज होती है| फिर पंद्रह दिनों बाद जब वह जीरो फिगर की हो जायेगी तब हर दिन नयी नयी साडियाँ पहनकर अपने पति को रिझायेगी|

उसने सोचा, वैसे भी वह दो हजार में एक ही साडी खरीदती है अब उसे टीवी पर दो हजार में छह साडियाँ मिल रही हैं यह तो अच्छी बात है, उसने तय कर लिया कि कल वह पति से दो हजार रुपये ले लेगी और अभी टीवी पर साडियों का ऑर्डर बुक कर देगी| दो दिन बाद छह साडियाँ भी आने वाली थी|

रीमा का जितना मूड ऑफ था अब उतना ही ज्यादा प्रफ्फुलित हो गया था| पहले तनाव के कारण नींद नहीं आ रही थी अब खुशी के कारण नींद उड गयी थी| फिर भी वह टीवी बंद करके बिस्तर पर आकर लेट गयी| रात को बिस्तर पर लेटने के बाद ज्यादा देर तक जगा नहीं जा सकता बिस्तर में ही एक अजीब सा नशा होता है जो कि अपने आगोश में व्यक्ति को लेकर सपनों की दुनिया में ले जाता है|

अगली सुबह रीमा को खुश देखकर पति ने सवाल किया “इतनी खुश क्यों हो जरा हमें भी बताओ”

रीमा ने पलटकर इतना ही जबाब दिया “अब आपसे में पंद्र्ह दिनों बाद पूछूँगी, बस मुझे दो हजार रुपये दे दीजिये साडी खरीदनी है|”

पति ने अपना पर्स पकडा दिया और कहा जितने चाहे ले लो तुम तो मेरी पूर्णिमा का गोल मटोल चाँद हो|

बस यह पूर्णिमा का चाँद शब्द सुनना था कि रीमा भडक गयी मगर अपने मन में ही बोली “चिंता मत करिये पंद्रह दिन बाद में आमावस्या का चाँद बनने वाली हूँ तब आपकी आँखे फटी रह जायेगी|”

क्लिम टी और साडियाँ आ चुकी थीं| साडियाँ देखते ही रीमा का मूड ऑफ हो गया| टीवी में जितनी सुंदर लग रही थी हकीकत में बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी| साडियों का केवल प्रिंट सुंदर था मगर साडियों का कपडा ऐसा था कि एक बार धुलने पर केवल पौछा बन जाये| अब वह ठगा सा महसूस कर रही थी मगर फिर भी क्या कर सकती थी| सभी साडियाँ दो दो बार पहनकर वह किसी को दे देगी यह सोचकर अपनी छह साडियों को तैयार करने में जुट गयी थी| अलग अलग डिजाईन के ब्लाऊज बनवाये पीको फॉल लगवाये|

अब उसकी चिंता क्लिम टी की तरफ से होने लगी कि अगर वह सही नहीं निकला तो साडी के तीन और क्लिम टी के दो हजार मतलव उसके पूरे पांच हजार रुपये पानी में चले जायेंगे|

वह नियमित सुबह शाम दो कप क्लिम टी पीने लगी|

एक हफ्ते गुजरने पर जब रीमा को अपने आपमें कोई फर्क नहीं लगा तब उसने फोन करके पूछा कि आपने पंद्रह दिन का वक्त दिया था जीरो फिगर पाने का… एक हफ्ते में तो कुछ अंतर आया नहीं अब एक ही हफ्ता बचा है, कैसे फर्क आयेगा?

क्लिम टी वालों ने उसे आश्वस्त किया कि अगर अंतर नहीं आया तो हम ऑर्डर के पंद्रह दिनों के अंदर आपके पैसे लौटा देंगे|

पंद्रह दिन भी बीत गये वजन साठ से चालीस नहीं हुआ तो रीमा की उदासी देख उसके पति ने पूछ ही लिया “जाने मन क्या हुआ? पिछले कुछ दिनों से तुम कुछ व्यस्त चल रही थीं और अब यह उदासी का मौसम क्यों?”

रीमा ने अपने पति को सारी सच्चाई बतायी और क्लिम टी द्वारा पैसे वापिस ना करने पर करावाई करने की बात की| पति ने रीमा को समझाया यह सब भावनाओं से और कानूनी दाव पैंचों से खेल खेलते हैं| तुम गोल मटोल पूर्णिमा की चाँद बनकर पूरे घर में अपनी चमक बिखेरती रहो मेरे लिये और इस घर के लिये यही बेहतर है| मत बनाओ जीरो फिगर जैसे है आमावस्या की चाँद क्या फायदा ऐसे फिगर का कि मुझे दिखो ही नहीं घर में रोशनी बिखेरो ही नहीं……. |

— संगीता कुमारी

संगीता कुमारी

पिता का नाम---------------श्री अरुण कुमार माथुर माता का नाम--------------श्रीमती मनोरमा माथुर जन्मतिथी------------------- २३ दिसम्बर शिक्षा सम्बंधी योग्यता-----दसवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बारहवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बी.ए, दिल्ली विश्वविद्धालय एम.ए (अंग्रेजी), आगरा विश्वविद्धालय बी.एड, आगरा विश्वविद्धालय एम.ए (शिक्षा) चौधरी चरणसिंह विश्वविद्धालय रुचि--------------------------पढना, लिखना, खाना बनाना, संगीत सुनना व नृत्य भाषा ज्ञान-------------------हिंदी, अंग्रेजी काव्य संग्रह--- ह्रदय के झरोखे (यश पब्लिकेशन दिल्ली, शाहादरा) कहानी संग्रह--- अंतराल (हिंदी साहित्य निकेतन, बिजनौर उत्तर प्रदेश) काव्य संग्रह संगीता की कवितायें (विंध्य न्यूज नेट्वर्क) पता--- सी-72/4 नरोरा एटॉमिक पावर स्टेशन, टाउन शिप, नरोरा, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, पिन—203389 मोबाईल नम्बर—08954590566 E.mail: [email protected] [email protected] www.sangeetasunshine.webs.com