गीत/नवगीत

गीत – धुंधली तस्वीरें

धुंधली धुंधली तस्वीरें है
धुंधला जीवन का खेल हुआ
जब उम्र ढली तब पता चला
कैसे लोंगो से मेल हुआ–!!

लड़खड़ाया बचपन जब तेरा
मेरे हाथ तेरी बैसाखी थे
जवान हुई तेरी राहें मेरे नैन
दिया और बाती थे
तुझे आसमान छूने के लिए
मैने था सबकुछ बेच दिया—!!

वक्त ने ऐसा बड़ा किया
मुझे बूढा तुझे जवान किया
कमजोर हाथ ने जब माँगी
बैसाखी तेरे कन्धों की
कन्धा देने में वक्त अभी
डंडा भी मेरा फेक दिया
कैसे लेगों से मेल हुआ——-!!

नीरू “निराली”
कानपुर

नीरू श्रीवास्तव

शिक्षा-एम.ए.हिन्दी साहित्य,माॅस कम्यूनिकेशन डिप्लोमा साहित्यिक परिचय-स्वतन्त्र टिप्पणीकार,राज एक्सप्रेस समाचार पत्र भोपाल में प्रकाशित सम्पादकीय पृष्ट में प्रकाशित लेख,अग्रज्ञान समाचार पत्र,ज्ञान सबेरा समाचार पत्र शाॅहजहाॅपुर,इडियाॅ फास्ट न्यूज,हिनदुस्तान दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित कविताये एवं लेख। 9ए/8 विजय नगर कानपुर - 208005