गीत – धुंधली तस्वीरें
धुंधली धुंधली तस्वीरें है
धुंधला जीवन का खेल हुआ
जब उम्र ढली तब पता चला
कैसे लोंगो से मेल हुआ–!!
लड़खड़ाया बचपन जब तेरा
मेरे हाथ तेरी बैसाखी थे
जवान हुई तेरी राहें मेरे नैन
दिया और बाती थे
तुझे आसमान छूने के लिए
मैने था सबकुछ बेच दिया—!!
वक्त ने ऐसा बड़ा किया
मुझे बूढा तुझे जवान किया
कमजोर हाथ ने जब माँगी
बैसाखी तेरे कन्धों की
कन्धा देने में वक्त अभी
डंडा भी मेरा फेक दिया
कैसे लेगों से मेल हुआ——-!!
— नीरू “निराली”
कानपुर