मुक्तक/दोहा

“रोला मुक्तक”

करो जागरण जाग, सुहाग सजाओ सजना।

एक पंथ अनुराग, राग नहिं दूजा भजना।

नैहर जाए छूट, सजन घर लूट न लेना-

अपने घर दीवार, बनाकर प्यार न तजना॥-1

शयन करें संसार, रात जब आ फुसलाती।

दिन का करें विचार, दोपहर शिर छा जाती।

बचपन बीता झार, जवानी किसने देखा-

चौथापन विलराल, कपाल नियति की पाती ॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ