“रूपमाला/मदन छंद”
आप बचपन में कहाँ थे, आज है क्या हाल
देख जाओ गाँव आकर, खो गए हैं ताल।
हर नहर सूखी मिलेगी, बाग वन आधार
पेड़ जामुन का खड़ा है, बैठ कौआ हार।।-1
हो सके तो देख लेना, बंद सारे द्वार
झाँकती मानों चुड़ैली, डर गई दीवार।
खो गई गुच्छे की चाभी, झुक गए है लोग
नेवला मुड़ मुड़ के देखे, कर रहा उपयोग।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी