गीत – आज फुटपाथ बहुत सूने हैं
आज फुटपाथ बहुत सूने हैं ,
किसी नेता का आगमन होगा ।
धूप में खींचता सवारी है।
धूप से भूख कहाँ हारी है ?
लड़ रहा धूप से रिक्शेवाला,
साँस दर साँस जंग जारी है।
इसने सपने भी नही टिकते हैं ,
जानते हैं कि बस दमन होगा।
आज फुटपाथ……………..
तुमने मंचो से दर्द को गाया ।
उसने जीवन में दर्द ही पाया।
यह गरीबों के ताप का फल हैं,
जो तुम्हें राज्य छाँव में लाया ।
जहाँ उनको भी छाँव मिल जाये,
क्या कोई ऐसा भी भवन होगा ?
आज………………………..
भूख लंबी है,कमाई छोटी ।
लक्ष्य है सिर्फ शाम की रोटी।
एक मजदूर भला क्या सोचें
हाय!किस्मत ही हो गई खोटी।
क्या कभी इनकी झुग्गियों में से
चिर अभावों का भी गमन होगा?
आज फुटपाथ………….
— डा. दिवाकर दत्त त्रिपाठी