मुक्तक/दोहा

दो मुक्तक

बसे नयनो में नीरज के, मिलो दीदार कर लेंगे।
नयन भर कर निहारेंगे, तुम्हे स्वीकार कर लेंगे।
तुम्हे है चाहते लाखो, मैं धड़कन सैकड़ो की हूँ,
करो इकरार या इनकार तुमसे प्यार कर लेंगे।।

कलेजा चीर करके , प्यार का इजहार करते है।
नयन को बंद करके , आप का दीदार करते है।
मिलो या ना मिलो हमसे, हमारे दिल की रानी हो,
तुम्हे हम प्यार करते है, तुम्हे हम प्यार करते है,

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950