सिकुलर सोच
इण्डिया के सभी सिकुलर खामोश थे बिलकुल बापू की माफिक… बापू के देस में ५६ कारसेवक जाहिर है… हे राम ! को मानने वाले हिन्दू ! ट्रेन के डिब्बों में जला कर मार डाले ! हिन्दू ने तो जलना ही था जिन्दा जले या मुर्दा क्या फर्क पड़ता है ! सभी सिकुलर भी इसी लिए चुप थे कि हिन्दू की धार्मिक आस्था… जलने की नियति को तो कोई आघात नहीं पहुँचाया गया !
यकायक सिकुलर समाज में कोहराम मच गया ! जब चंद कमियुनक हिन्दुओं ने मुस्लिम ‘भाइयों ‘को मार कर जलाना शुरू कर दिया… सिकुलरों का कोहराम ‘मारने’ पर कतई नहीं था ! अरे मुस्लिम को जलाना… ‘लाहौलविलाकूवत’ यह तो मुस्लिम भाईओं की मज़हबी आस्था पर ‘प्रहार’ हुआ न… दफनाते तो बात और थी।
एक महा सैकुलर खबरी ‘रविश’ ने तो विलाप करते-करते अपनी घडी ही तोड़ डाली… महान सैकुलर राज दीप सरदेसाई की तो घिघी ही बंध गई ! गोधरा के घर घर जाकर पूरी तफ्सील से काफिर हिन्दुओं की करतूत बयान की ! और तो और सरजी ने सरे आम ऐलान कर दिया कि जब तक एक हज़ार ‘काफिरो’ को जलाया नहीं जाएगा तब तक वो अपनी कलम से केवल कलमा ही लिखेंगे !
इसे कहते हैं महात्मा गाँधी उर्फ़ बापू वाला सिकुलरिज़्म… सारे हिन्दुस्तान के सिकुलरों ने मोदी हटाओ सिकुलरिज़्म बचाओ की मुहीम इस कदर चलाई कि जन मानस ‘मुहीम की ओवर डोज़’ की उलटी कर बैठा… मोदी को बापू के गुजरात से हटाकर ‘गियासुदीन के वंशजों की ‘गद्दी’ दिल्ली पर बैठा दिया।