गीतिका/ग़ज़ल

जख्म उनको मत दिखाना दोस्तो

खुद से ही सबकुछ निभाना दोस्तो
दर्द अपने मत दिखाना दोस्तो

आग अपने ही घरों में है लगी
धुएँ को कैसे छुपाना दोस्तो

जहर देकर जान जिसने बख्श दी
मौत से क्यों हिचकिचाना दोस्तो

शोर जब करने लगे ऊँचाइयां
आसमां लाकर बिछाना दोस्तो

उनके नख हैं अब बहुत ही बढ़ गये
जख्म उनको मत दिखाना दोस्तो

है मिटा दी जा रही सच्चाइयाँ
झूठ से तो बाज आना दोस्तो

मुस्कराने जब लगेंगे जख्म तो
नश्तरों को फिर चुभाना दोस्तो

– वंदना पांडेय