कविता

विवान

dav
नटखट तू गोपाल जैसा
प्रिय तू मुझको न कोई वैसा।
है हवाओं सी तुझमें चंचलता
चांद सी तुझमें है शीतलता।।
प्रखर सूरज सा ओज है मुख में
बादलों सा पानी है।
गंगा की निर्मलता तुझमें
तू प्यार की रवानी है।।
निश्छल तेरी यह मुस्कान
जग में है सबसे छविमान।
अटक अटक कर तेरा बोलना
सात सुरों की अद्भुत तान।।
गुस्से में तेरा मुंह फुलाना
एक पल में ही प्यार जताना।
गले से लगकर एक हो जाना
भर देता है मुझमें जान।।
फूलों सा कोमल है तू
सुभग बड़ा मनमोहक तू।
अब तू ही मेरी आत्मा मेरा है प्राण
शुभाशीष तुझे विवान।।

मुकेश सिंह
सिलापथार,असम।

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl