” भ्रष्टाचार ” !! ( मनहरण घनाक्षरी )
भ्र्ष्टाचार कहाँ कहाँ , जहाँ देखो वहाँ वहाँ !
सभी लगे रवाँ तवाँ , भुला नहीं पायेगें !!!
पैदा हुए ,वहाँ देखा , पढ़े लिखे तहाँ देखा !
धंधे नौकरी में देखा , यही गुण गायेगें !!
राजनीति डूबी हुई , चुभती है सुई सुई !
पीड़ा जाए सही नहीं , कैसे बच पायेगें !!
जनमन जागे अब , सत्ता नहीं भागे अब !
दंड हो कठोर सब , देश को बचायेंगे !!