कविता

उमंग

अभी तो ज़रा खिले थे पात उनके
दम अभी तो भरा था
देख सूरज को
मन हरा हरा था
उठ चले थे आसमां की ओर
लग रहा था सारा जहाँ अपना
चढ़ती गिरती सांसों पर
बस कहाँ था अपना
चटक रही थी खुशी
उनके अंग अंग से
झूमते हवा संग
बज रहे मृदंग से
अभी अभी तो देखो
सफर शुरू हुआ उनका
जाने कितने पड़ाव अभी आयेंगे
नये नये अनुभव उन्हें करायेंगे
समय की हर थाप पर
मंज़िल की हर माप पर
संतुलित होते जायेंगे
दृढ़ होकर मुस्कुरायेंगे

शिप्रा खरे

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - [email protected]