गीतिका/ग़ज़ल

उम्रभर

उनकी सादगी की मशाल,जलती रहेगी उम्रभर,
खुशी बस इतनी मुझे रोशन रखेगी उम्रभर।

वो इतना निष्ठुर नहीं था,फिर क्या बात हुई,
उनके इसी सोच की,सोच रहेगी उम्रभर।

छोटी सी भूल की इतनी बड़ी सजा है क्या,
कि इक जिन्दगी इक जिन्दगी से जुदा रहेगी उम्रभर।

अब तलक जो हमसफर थे हरहाल में हर घड़ी,
आज से अब हर कहानी जुदा रहेगी उम्रभर।

अब तलक जिस बाग की आबो-हवा गुलजार थी,
आज से न अब कभी रौनक रहेगी उम्रभर।

कितने खुश्नुमा पल खो गये वक्त के आगोश में,
बीती हुई यादें सताती रहेंगी उम्रभर।

अब रोयें भी तो किसके पहलू में जाकर ‘अयुज’,
बे आसरा ये बेबसी रोती रहेगी उम्रभर।

अमरेश गौतम "अयुज"

अमरेश गौतम'अयुज' पिता - श्री कन्हैया लाल गौतम ईमेल आईडी - [email protected] मोबाइल नं.(व्हाट्सऐप) - +917600461256 जन्म/जन्मस्थान - 04/12/1981, रीवा (मध्य प्रदेश) शिक्षा - पात्रोपाधि अभियंता। संप्रति - नौकरी (जिंदल इस्पात) प्रकाशित पुस्तकें - अनकहे पहलू(काव्य-संग्रह), मुसाफ़िर (साझा काव्य-संग्रह ), अंजुमन (साझा ग़ज़ल-संग्रह) साहित्य उदय (साझा काव्य-संग्रह) एवं कुछ प्रकाशाधीन.... पुरस्कार/सम्मान - साहित्य शिखर सम्मान (उदीप्त प्रकाशन द्वारा सम्मानित) वेबसाइट :- www.sahityikbagiya.com मेरे बारे में :- मेरा जन्म मध्यप्रदेश के रीवा जिले के रायपुर गौतमान में 4 दिसम्बर 1981 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ।विद्यालयीन शिक्षा मैंने यहीं गाँव में पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए पिता जी श्री कन्हैयालाल गौतम के पास बैतूल गया । सन् 1999 में विद्यालयीन शिक्षा समाप्त कर मैं पात्रोपाधि की पढ़ाई के लिए भोपाल गया और वहाँ से सन् 2003 में इन्जीनियरिन्ग डिप्लोमा प्राप्त की। हिन्दी साहित्य में मुझे बचपन से ही रुचि थी,यही नहीं मैंने पहली कविता सन् 1997 में लिखी जब दसवीं में था। कवि सम्मेलनों में कविता पाठ सुनने के लिए दूर-दूर जाया करता और पूरा कवि सम्मेलन सुनता । पारिवारिक स्थिति ठीक न होने की वजह से पढ़ाई आगे की रोककर नौकरी करने लगा किन्तु साहित्य साधना जारी है।