बन्धन
ये बन्धन है कच्चे धागों का ,
कभी टूट नही सकता ,
तुमसे मेरा साथ जीवन में ,
कभी छूट नही सकता ।
किस डोर से बधी हूँ में ,
मै ये समझ नही पाती हूँ ,
जितना सुलझने की कोशिश करती हूँ ,
उतना उलझती जाती हूँ ।
भगवान करें उनका और मेरा हाथ ,
जीवन भर कभी न छूटे ,
ये बन्धन है जनम -जनम का ,
जीवन भर कभी न टूटे ।
— डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ