लघुकथा – फेसबुक
विनीता शिकायत कर रही थी, ‘‘अंकल, मैंने फेसबुक पर आप को इनवाइट किया था, पर आप मेरी शादी में फिर भी नहीं आए, क्यों?‘‘ अंकल बोले, ‘‘बेटी विनीता, फेसबुक पर मैंने लाइक तो कर ही दिया था, स्वयं घर आकर फेस टू फेस निमंत्रण देने आती, तो अवश्य ही तुम्हें आशीर्वाद देने आता, जीवन मात्र फेसबुक तक ही सीमित नहीं है।‘‘
— दिलीप भाटिया