लघुकथा – दूसरी पोती
राम प्रसाद उदास थे, दूसरी बार भी लड़की ही हो गई बहूरानी को। पर बहूरानी तो फिर भी पार्टी दे रही हैं, कल रात को फोन भी किया था, ‘‘बाबूजी, आना ही होगा आपको, मैं क्षमा चाहती हूँ कि मैंने आपका कहना नहीं माना, सोनोग्राफी का गलत काम नहीं किया। आने वाली मासूम की हत्या जन्म से पहले ही करवाने की मेरी हिम्मत नहीं थी। साॅरी, बाबूजी आऐंगे ना पोती को आशीर्वाद देने?‘‘
— दिलीप भाटिया