कविता

“हाइकु”

कुछ तो बोलो

अपनी मन बात

कैसी है रात॥

सुबह देखो

अब आँखें भी खोलो

चींखती रात॥

जागते रहो

करवट बदलो

ये काली रात॥

टपके बूंद

छत छाया वजूद

भीगती रात॥

दिल बेचैन

फिर आएगी रैन

जागती रात॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ