“हाइकु”
कुछ तो बोलो
अपनी मन बात
कैसी है रात॥
सुबह देखो
अब आँखें भी खोलो
चींखती रात॥
जागते रहो
करवट बदलो
ये काली रात॥
टपके बूंद
छत छाया वजूद
भीगती रात॥
दिल बेचैन
फिर आएगी रैन
जागती रात॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
कुछ तो बोलो
अपनी मन बात
कैसी है रात॥
सुबह देखो
अब आँखें भी खोलो
चींखती रात॥
जागते रहो
करवट बदलो
ये काली रात॥
टपके बूंद
छत छाया वजूद
भीगती रात॥
दिल बेचैन
फिर आएगी रैन
जागती रात॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी