खत – एक बहन का पत्र फौजी भाई के लिए
मेरे प्यारे नही नही खड़ूस भईया ,
मां के दुलारे
देखो आप ये पत्र देख नाराज़ नही होना । मां के बहुत बोलने पर लिख रही हूं। लो देखो अपनी बहन को न आप की खैरियत पूछी न घर की कुछ बताई ।
बताओ कि कैसे हो आप ?? कहाँ हो ??
और हाँ मेरे दूसरे भाई कैसे हैं ?
उनको बोलना इस बार मैं आप सब के लिए राखी भेजूंगी । सिर्फ आप के ही नही सभी की कलाई सजेगी। दो तीन साल हो गए राखी पर घर आये । मां पूछ रही हैं इस बार तो आओगे जानते हुए की नही आ सकते फिर भी ।
जब भी सीमा की कोई खबर आती तब मां ध्यान से सब सुनती मुझसे सब पूछती है ।
भैया तुम बहुत याद आते हो जब भी कोई संदेश आता । हर पल तुम्हारी याद आती है । आप को मालूम है मेरी सहेली जिसको आप बहुत परेशान करते थे उसकी शादी हो गई और वो जाते जाते बोल रही थी “” तेरा भाई कब आएगा , मुझे कब चिढ़ाएगा , “।
सब आप को बहुत याद करते हैं ।
मां सबको कहती रहती है ” अबकी जब मेरा बेटा आएगा तब उसकी दुल्हन ले आऊंगी । चांद सी होगी वो सारे गांव वाले देखते रह जायेंगे” ।
मां को कौन क्या कहे ।
डॉ बोले इनको खुश रखो।
आप बहुत बहादुर हो दुश्मन को खत्म करना । पीठ नही दिखाना आप दुश्मन को 1000 को मार कर मरना । इस बात को बाबा बोल रहे है।
बस भैया अब नही लिख सकती बहुत नींद आ रही है ।
“”” चिट्ठी न कोई संदेश ,जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए ……
भैया पता कहाँ का लिखू आप तो वहाँ हो जहां का पता मालूम है पर पत्र कैसे भेजू?
आपकी बहन
— सारिका औदिच्य