लघुकथा – शगुन
त्यौहार पर रंग बिरंगी लाइट सीरीज से सजावट कर शानदार पार्टी चल रही थी, पर अचानक पावर कट से घर में अंधेरा हो गया। रंग में भंग से सब दुःखी थे, बालकनी के कोने में चारपाई पर पड़ी अम्मा बुदबुदाई, ‘‘मैंने पहले ही कहा था, शगुन के पांच दीपक के लिए, पर मुझ बूढ़ी की कौन सुनता है, मोमबत्ती तक तो हैं नहीं घर में, आधुनिक हैं सब।‘‘
— दिलीप भाटिया