आधुनिक दहेज
राधे श्याम का एक बेटा था, वह उसे बहुत प्यार करता था, वह चाहता था, कि उसके बेटे की शादी बहुत धूम-धाम से हो, जैसे हर पिता का अरमान होता है! राधे श्याम का बेटा आज ऑफिस के काम से १ साल के लिए जर्मनी जा रहा था, तभी पिता ने बेटे से जाते हुए कहा कि ” तुम जल्दी आना, अब जब तुम आओगे तब हम तुम्हारी शादी करवा देंगे, क्योंकि अकेले बाहर आते -जाते हो तो हमें तुम्हारी चिंता लगी रहती है, कम से कम शादी बाद तुम्हारे साथ कोई तो होगी ,जो वहाँ तुम्हारा ख्याल रख सके ”
रणजीत ने कहा ” ठीक है पिता जी, जैसा आप कहेंगे वैसा ही होगा ”
और रणजीत एक साल के लिए जर्मनी चला गया, पर उसके माता – पिता यहाँ पर उसके लिए लड़कियाँ देख रहे थे! और नई – नई योजनाएँ बना रहे थे, कि कैसे शादी करनी है, कहाँ करनी है आदि तरह – तरह की योजनाएं बना रहे थे! वहाँ रणजीत मन लगाकर अपना काम कर रहा था, और रोज अपने माता – पिता को फ़ोन करता, ताकि उसके माता-पिता खुश रहे, और उसकी फिक्र ना करें!
और देखते ही देखते समय कैसे बीता चला गया, पता ही ना चला,और मानो कल ही की बात हो जैसे, रणजीत को गए हुए आज एक साल कैसे बीत गया मालूम ही न चला!
कल रणजीत घर वापस आ रहा था, इसलिए उसके माता – पिता बहुत खुश थे, क्योंकि अब तो वह बस रणजीत की शादी करना ही चाहते थे! और रणजीत के आने की ख़ुशी में कैसे रात बीत गई उन्हें पता नहीं लगा और कब ना जाने सुबह हो गई!
रणजीत की माँ सुबह से ही किचन में तरह – तरह के पकवान बनाने में व्यस्त थी, और राधे श्याम ने रणजीत को लाने के लिए एयरपोर्ट पर कार भेज दी थी, ताकि उनका बेटा आराम से घर आ सके! कुछ देर बाद घर की घंटी बजी, और राधे श्याम ने भागते – भागते हुए दरवाज़ा खोला!
दरवाजे खोलते ही , रणजीत उनके सामने था, उनकी तो ख़ुशी का ठिनका ना था, इतने में रजीत की माँ भी आई और अपने बेटे को देखकर फूले न समायी और उसे देखती ही रही!
रणजीत ने माँ से कहा कि “बस माँ और कितना देखोगी, अब मैं यही हु, जी भर कर देखती रहना, अभी मुझे बहुत भूख लगी है, कुछ खिला दो”
माँ ” हाँ, बेटा अभी लाई, जाओ तब तक तुम मुंह हाथ धो आओ ”
रणजीत हाथ मुंह धोने चला गया, इतने में रणजीत के पिता ने रणजीत की माता से कहा कि –
“आज तो मैं रण जीत से सोनिया बारे में बात कर के ही रहूँगा ”
सोनिया वही लड़की थी, जिसको राधे श्याम और उसकी पत्नी ने रणजीत के लिए पसंद किया था!
रण जीत की माँ ने कहा ” ठीक है, खाना खाते -खाते आप बात शुरू कर देना बाकि मैं भी आपका बात करने में साथ दे दुगी !
रण जीत खाने की मेज़ पर आता है, और फिर रणजीत और उसके माता – पिता मिलकर आज काफी समय बाद खाना साथ खाते है, तभी राधे श्याम ने सोनिया के बारे में रणजीत को बताया!
रण जीत ” पिता जी इतनी जल्दी क्या है अभी ?
राधे श्याम – ” बेटा जल्दी नहीं है, तुम आराम से एक बार सोनिया से मिल लो, उसे देख लो,फिर ही हम बात आगे बढ़ेंगे!
रण जीत – ” ठीक है, पिता जी कल ही चलते है, क्योंकि परसो मुझे ऑफिस जाना है!
राधे श्याम : “ठीक है, मैं सोनिया के पिता जी को बता देता हु, कि हम लोग कल आ रहे है!
रण जीत : ” ठीक है, पिता जी” !
अगली सुबह रण जीत अपने माता – पिता के साथ लड़की देखने चला जाता है!
सोनिया एक पढ़ी लिखी लड़की है, उसने मास्टर किया हुआ है, और वह एक एनजीओ में करती है
रण जीत को सोनिया देखते ही पसंद आ जाती है, और घर वालो ने दोनों को थोड़ी देर अलग बात करने के लिए भेज दिया, ताकि दोनों एक दूसरे को अच्छे से जान- पहचान सके!
सोनिया रणजीत को अपना पूरा घर दिखती है, और साथ साथ दोनों बाते करते रहते है!
रण जीत : सुना है आप एनजीओ में काम करती है!
सोनिया : जी है, मुझे एनजीओ में काम करना बहुत पसंद है, मैं काफी समय से एनजीओ में काम कर रही हु!
रणजीत : अच्छा है, आप बहुत नेक कार्य कर रही है!
सोनिया : शुक्रिया जी, अब आप अपने बारे में कुछ बताये!
रणजीत : मैं एक इंजीनियर हु, और कभी – कभी मुझे इंडिया से बाहर भी जाना होता है!
सोनिया : जी ये तो अच्छी बात है, अलग – अलग जगह जा कर कुछ ना कुछ सिखाने को ही मिलता होगा आपको!
रणजीत : जी आप सही कहे रही है, मुझे वहाँ रह कर, वहाँ के कल्चर को जाने का मौका भी मिला!
सोनिया : अच्छा मैं आप से एक बात पूछ सकती हु क्या ?
रणजीत : जी बिलकुल, बिना संकोच करें, आप कुछ भी पूछ सकती है!
सोनिया : अगर हम दोनों की शादी होती है, तो क्या आप मुझे एनजीओ में काम करने देंगे!
रणजीत : जी इस बात के जवाब देने से पहले मैं भी आपसे एक बात पूछना चाहता हु!
सोनिया : जी कहिये!
रणजीत : अगर हमारी शादी होती है, तो क्या आप मुझे ऐसी नौकरी करने देगी, जिसमें मुझे कभी-कभी इंडिया से बाहर जाना होता है
सोनिया : जी, यह कैसा सवाल हुआ, बिलकुल यह तो आपका काम है, जो आपको करना ही होगा, और मैं आपको क्यों मना करूँगी!
रणजीत : इसलिए क्योंकि आपने भी मेरे से यही सामान प्रश्न किया, आखिर मैं आपको एनजीओ में काम करने के लिए क्यों रुकूंगा, बल्कि इस काम में तो मैं भी आपका साथ दुगा!
सोनिया : शुक्रिया रणजीत जी!
रणजीत : आपको भी शुक्रिया!
दोनों अपनी बाते खत्म करके अपने घर वालो के पास चले जाते है, और शादी के लिए हां कर देते है!
शादी में अभी ६ महीने बाकी थे, इसलिए दोनों एक दूसरे से मिलते और खूब बाते करते, यहाँ तक रणजीत सोनिया के एनजीओ में भी जाने लगा था, और वहाँ वक़्त भी बिताने लगा था!
एक दिन सोनिया ने रणजीत से कहा, कि ऐसा नहीं हो सकता की हम शादी बहुत साधारण तरह से करें, और जितना खर्च हमने शादी में करना है, उतने पैसो में हम इन बच्चों के लिए स्कूल बनवा दे, ताकि इनका जीवन अच्छा हो जाये!
रणजीत : हां, बिलकुल सोनिया तुम सही कह रही हो, आखिर एक दिन में इतना ख़र्च करके क्या फ़ायदा, आखिर शादी हमें करनी है, चाहे हम जैसे भी करें, यह हमारी मर्जी है !
सोनिया : पर एक बात रणजीत,मुझे नहीं लगता हमारे माता-पिता इस बात को कभी मानेंगे, क्योंकि वह सब तो हमारी शादी की तैयारी दिन – रात एक कर रहे है!
रणजीत : तुम चिंता मत करो, मैं अपने माता – पिता से बात करता हु!
सोनिया : ठीक है, मैं भी अपने घर बात करती हु!
रणजीत : अपने पिता जी को सारी बात बता देता है, लेकिन पिता जी के तो अपने ही अरमान थे, और वो गुस्सा हो जाते है!
राधेश्याम ने अपनी पत्नी से कहा, ” क्या हो गया है, आज कल के बच्चों को, ज्यादा ही लड़ – प्यार का ही ये नतीजा है, कि हमारी ख़ुशी के लिए कुछ नहीं कर सकते!
माँ : एक बात कहु मैं आप से अगर आप बुरा ना मानने!
राधेश्याम : हां कहो (गुस्से में )
माँ : आखिर क्या ग़लत कहा उसने, सोच जरूर नई है, पर सही है, अपने भी तो अपने समय में मेरे घर वालो से दहेज़ लेने से इनकार कर दिया था, तब आपको क्या हुआ था
थोड़ी देर कुर्सी पर बैठ कर राधेशयाम ने कुछ सोचा और रणजीत और सोनिया को बुलाया और कहा –
“तुम बच्चों के लिए स्कूल कहाँ बनवाने का सोच रहे हो, कोई जगह सोची है या उसमें मैं तुम्हारी मदद करूँ ”
रणजीत : मैं कुछ समझा नहीं पिता जी, आप क्या कहे रहे है!
राधे श्याम : मतलब यह है, कि स्कूल कैसा होना चाहिए, कहाँ चाहिए, ये सब सोचा है, ताकि हम आगे का काम शुरू करे!
रण जीत : मतलब पिता जी, आपको हमारी बात मंजूर है!
पिता : हाँ बिलकुल, बल्कि इस नेक काम में मैं भी तुम लोगों की मदद करुगा, और कोई जरूरत हो तो मुझसे कहना, पर स्कूल एक दम बढ़िया होना चाहिए, और बच्चों को कोई परेशानी, मुझे हर चीज अच्छे से चाहिए!
सोनिया : जी पिता जी बिलकुल, शुक्रिया पिता जी, हमारी बात माने के लिए और आपके साथ के लिए!
पिता : शुक्रिया किस बात का बच्चों।
” आखिर मैं भी तो आज की पीढ़ी का हु ”
-– चाँदनी सेठी कोचर, दिल्ली