कविता

हमारा वनस्पति-जीव जगत

पर्यावरण के ये वन प्रहरी,
सुंदर धरती है यह देन।
हरा-भरा जीवन ये देते;
दृश्य सुहाने देखते नैन।।
वन हमारे खुले खजाने,
दुःख न देना इन्हें अन्जाने।
यदि न जाने अब भी इनको;
तो•••
दुःख भोगेंगे सभी सयाने।।
वास जहां है नर-नारायण का,
मेल-मिलन है प्रकृति-पुरुष का।
ऐसे वनस्पति जीव-जगत् का;
क्षेत्र वन यह नाम है उस का।।
पास-पडोस प्रकृति की रक्षा,
काम यही है सबसे अच्छा।
जैव-विविधता की यह चर्चा;
वन रक्षा है सबकी इच्छा।।
जड़-चेतन व कीट-पतंगा,
यही हमारी जैव-विविधता।
रक्षित-विकसित होवे जीवन;
देन है इसकी जलवायु शुद्धता।।
यदि न रहेंगे ये वन प्रहरी,
रहें सुखी कैसे गांव शहरी।
सोच यदि न रही गहरी;
तो•••
आंख-कान से होंगे सब बहरी।।
राष्ट्र-द्रोह विषपान का,
करते तस्कर हैं यह काम।
जीव रक्षा के बदले अब;
वन भक्षक है इनका नाम।।
चुनौती आज वन्यजीव संरक्षण की,
चुनौती है राष्ट्रीय संपत्ति सुरक्षा की।
पर्यावरण रक्षा के अनन्य प्रहरी की;
बड़ी चुनौती जीवन अस्तित्व रक्षा की।।
यही हमारी सांस हैं,
यही भविष्य की आस।
लें संकल्प सभी यह;
कि-
कभी न करेंगे इनका नाश।।
शम्भु प्रसाद भट्ट “स्नेहिल”

शम्भु प्रसाद भट्ट 'स्नेहिल’

माता/पिता का नामः- स्व. श्रीमति सुभागा देवी/स्व. श्री केशवानन्द भट्ट जन्मतिथि/स्थानः-21 प्र0 आषाढ़, विक्रमीसंवत् 2018, ग्राम/पोस्ट-भट्टवाड़ी, (अगस्त्यमुनी), रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड शिक्षाः-कला एवं विधि स्नातक, प्रशिक्षु कर्मकाण्ड ज्योतिषी रचनाऐंः-क. प्रकाशितःः- 01-भावना सिन्धु, 02-श्रीकार्तिकेय दर्शन 03-सोनाली बनाम सोने का गहना, ख. प्रकाशनार्थः- 01-स्वर्ण-सौन्दर्य, 02-गढ़वाल के पावन तीर्थ-पंचकेदार, आदि-आदि। ग. .विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र/पत्रिकाओं, पुस्तकों में लेख/रचनाऐं सतत प्रकाशित। सम्मानः-सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन भर से भी अधिक सम्मानोपाधियों/अलंकरणों से अलंकृत। सम्प्रतिः-राजकीय सेवा/विभिन्न विभागीय संवर्गीय संघों तथा सामाजिक संगठनों व समितियों में अहम् भूमिका पत्र व्यवहार का पताः-स्नेहिल साहित्य सदन, निकटः आंचल दुग्ध डैरी-उफल्डा, श्रीनगर, (जिला- पौड़ी), उत्तराखण्ड, डाक पिन कोड- 246401 मो.नं. 09760370593 ईमेल [email protected]