मुक्तक/दोहा

नग़मा-मुखड़ा

हर पल मेरा दिल अब नग़मा तेरे ही क्यूं गाता है
देखे कितने मंजर हमने तू ही दिल को भाता है
ना जानूं क्यूं खुद पे मेरा लगता अब अधिकार नही
आईना अब मैं जब भी देखूं तेरा मुखड़ा आता है ||

दिल की वादी में तू रहती या दिल तुझमें है रहता
समझाऊं जो नादॉ दिल को तो ये मुझसे है कहता
समझा लेते जो नजरों को बात न इतना बढ़ पाती
पर अब मैं खुद से बेबस हूँ तू भी बेबस है लगता ||

नींद से पहले यादें तेरी नींद में हो सपने तेरे
बिन राधा जो श्याम की हालत वो ही मेरी बिन तेरे
हैं बतलाते तुमको की क्या हसरत है मेरे दिल की
आओ तुम हो जाओ मेरी हम हो जाते हैं तेरे ||

मेरा हर दिन रौशन तुझसे शाम सुहानी लगती है
कुद़रत की शहजादी तू “फूलों की रानी”लगती है
“विपुल-प्रेम” अर्पण है तुमको मानो या ठुकरा देना
हर-पल-लब पर नाम तेरा धड़कन दीवानी लगती है ||

— विपुल पाण्डेय
केबीपीजी कॉलेज मीरजापुर
+919455388148

विपुल पाण्डेय

पिता का नाम - श्री नरेश चन्द्र पाण्डेय माता का नाम - श्रीमती ऊषा देवी जन्मतिथि - अगस्त 30, 1994 शिक्षा - बी. एड. (केबीपीजी कालेज मीरजापुर) रुचि- काव्य-रचना एवं गायन पता- ग्राम- उरनाह पो. - परानीपुर, मेजा जनपद - इलाहाबाद मोबाइल - +919455388148 +917355615048 [email protected]