एक सूरज डूब रहा था : स्मृति शेष ( 27जुलाई, 2015)
माधवपुर – भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी की शादी मंडप वाला मंदिर जिसकेे दीवारों में अरब सागर की लहरे कई सदियो से बहुत तेजी से आकर टकराती रहती है पर मंदिर की दीवार में कोई खरोच तक नही आई।
रोज की भांति डूबते सूरज को अरब सागर में डुबकी लगाते देखना मानो मन को सुकून देता हो क्योंकि उधर सूरज दिन भर लोगो को रोशनी गर्माहट देकर थके हारे लौट कर अरब सागर में डुबकी लगा कर ठंडक महसूस करता और इधर मैं भी बैंकिंग कार्यो से थकान परेशान हो जाता मगर सूर्य की लालमय को पानी मे डूबता देख और शाम की 5km की सी -शोर की लहरो से उठती सुहानी हवाए हमे भी ऊर्जावान कर देती। खैर ये मनोरम दृश्य तो यादगार ही रहेगा।
शाम में आरती के प्रसाद ग्रहण के बाद मैं दरिया किनारे बैठ जाता साथ ही घर मे और दोस्तो को फोन करता फिर गाना सुनता और कभी कभी तो लहरों को ही सुनता रहता जब रात हो जाती और अपनो कि याद सताती तो आंसू की दो बूंदे लहरों के साथ बहा देता। ऐसे ही सुकून मिलता था दिल को। समुद्री हवाओ में गजब का सुकून मिलता था वही बैठे बैठे वाटसप फेसबुक का रिप्लाई देता।
शाम में फेस बुक में कुछ लिखने कि कोशिश कर रहा था कि तभी मेरी नज़र फेसबुक की एक पोस्ट पर पड़ी,जिसमे लिखा था की हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का शिलोंग में हो रहे एक कार्यक्रम में एक घण्टा पहले अचानक से निधन हो गया।
कलाम साहब न मेरे निकटतम रिश्तेदार थे, न मेरे दोस्त न मुझे जानने वाले मगर फिर भी ये पढ़ते ही आँखों से अपने आप आंसू झरने लगे। उस वक्त साथ में एक बैंक कलीग था और गाव के बहुत से लोग थे इसलिए मैं पीछे के चबूतरा पर चला गया ये सोच कर की कोई देखेगा तो न जाने क्या सोचेगा की मैं क्यों रो रहा हु। असल में मैं उस दिन खुद नहीं समझ पाया की मैं इतना दुखी था क्यों । बहुत से ऐसे लोग जिन्हें मैने बस टीवी पर देखा और उनके बारे में पढ़ा उनकी की तरह ही कलाम साहब का निधन भी हुआ था मगर उनके लिए मन इतना बेचैन क्यों था मैं समझ नहीं पाया।
जानते हैं ऐसा क्यों हुआ था क्योंकि उनकी अच्छाई मन को अपने आप महसूस हो गई थी बस उन्हें टीवी पर देख कर और उनके बारे में ढेर सारा पढ़ कर । मुझे हर वो इंसान प्यारा है और मैं उसका दिल से सम्मान करता हूँ जिसने कठिनाइयों के जबड़े पर हिम्मत का ज़ोरदार मुक्का मारा हो और उसके मुंह में फंसी अपनी कामयाबी को छीन लाया हो । कलाम साहब भी उन्ही में से एक थे । अपनी परेशानियों का रोना रोने की बजाए उससे लड़ कर अपनी कामयाबी को हासिल करना सही समझा था इन्होने । इसी कारण हमारे मन में इनके लिए हमेशा वो जगह रहेगी जो शायद हम किसी और राजनेता को न दे पायें ऐसा शायद इस लिए भी है क्योंकि राष्ट्रपति होने के बावजूद भी ये गन्दी राजनीति से दूर रहे ।
हम अपने देश के लिए ज्यादा से ज्यादा जान दे सकते हैं मगर कलाम साहब देश के लिए जिंदा रहे और अपना सब कुछ देश की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी सारी जमांपूजी एक एन.जी.ओ को दान कर दी थी। यही नहीं उन्होंने अपनी पूरी सैलरी भी दान कर दी थी। वो हमारे देश के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने शादी नहीं की बल्कि देश को ही परिवार समझे। जहाँ मंत्रीमंडल में शामिल होने के लिए आम तौर पर नेता लोग चमचागिरी की हर हद को पर कर जाते हैं वहीं आग्रह करने के बाद भी कलम साहब ने काम में अपनी व्यस्तता बताते हुए कैबिनेट मंत्री बनाने से इंकार कर दिया था । कलाम साहब का कहना था जब हम हथियारों से युक्त देशों के बीच घिरे हों तो हमें भी हथियारों से युक्त हो जाना चाहिए और वैसा ही उन्होंने कर के दिखाया भारत को ऐसी मिसाइलों का तोहफा दिया जिस से भारत की सुरक्षा व्यवस्था अपने दुश्मनों के आगे एक दम निर्भीक हो गई । कलाम साहब चाहते तो नासा को ज्वाइन कर के करोड़ों कम सकते थे मगर उन्होंने उसके बजाए इसरो को चुना और देश के लिए काम करने का फैसला किया । कलाम साहब को अपने राष्ट्रपति कार्यकाल में जब एक ढाबे पर आम इन्सान की तरह बैठ कर चाय पीते देखा तो उनके लिए अचानक से एक सम्मान पैदा हुआ जो हमेशा बढ़ता ही रहा । धर्म की भड़काऊ आग से एक दम परे के इन्सान जिनके दमन में कभी कोई दाग नज़र ही नहीं आया।
अब सोचता हूँ तो समझ आता है की उस दिन इतना दुःख क्यों हुआ था । शायद इसी लिए क्यों की हमने उस दिन एक इन्सान को खोया था जो अब बहुत कम जीवित हैं इस पृथ्वी पर । इनके बारें में लिखने बैठें तो शायद कभी रुकें ही ना । ज़िन्दगी में हर किसी को कोई न कोई प्रेरित करता है। कॉलेज के दिनों में ख्वाब बेहद ऊँचे थे। हमारी बातों में मंडेला सिंह बोस आजाद बिरसामुंडा गाँधी और लिंकन के नाम दूर से ही सुनाई पड़ती।उसी दौर में हमने एक ऐसा आदर्श चुना जो जीवित कलाम साहब थे उस वक्त उनके बचपन के संघर्षों व होसलो से प्रभावित था और राष्ट्रपति के रूप में भाषण या कॉलेजो में छात्रों को प्रोत्साहित करने वाले वक्तव्य से धीरे धीरे उनके सोच से आकर्षित होता था परन्तु उनके जाने बाद उनकी महानता का नतमस्तक हो गया।मुझे प्रेरित करने वालों में सबसे पहला नाम कलाम साहब का ही आता है वर्ना राजनीति से किसी भी तरह का सम्बन्ध रखने वाले नेता मंत्री के लिए मैं अपने शब्दों और वक़्त को कभी बर्बाद न करता ।
आज कलाम साहब का पुण्यतिथि है । वो जहाँ भी हैं मैं उनसे यही कहना चाहूँगा कि आप जैसा इन्सान कभी मरता नहीं, मुझ जैसे कई सनकियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहता है सनकी इसलिए कि गलत चीजे हमे बर्दास्त नही होती जितना समझ आता है सामने बोल देता हु या फिर आगे तक आवाज उठानी पड़े पीछे नही हटता। उस समय मैं ब्रांच मैनेजर से बहस किया था कुछ असमाजिक तत्व से मिलकर गैर जिमेदाराना कार्यो में संलिप्त थे। मामला बढ़ता देख हेड ओफ्फिस में कम्प्लेन किया था तो सभी डराते थे कि तेरा ट्रांसफर दूर दराज गाँव मे हो जाएगा खैर बाद में दोनों का ट्रांसफर भी हो गया था।
मैं पिछले कई दिन से आपसे मिलता रहा हूँ। जब भी टूटता हु दूर दूर तक अंधेरा से घिर जाता हूं तो आपके संघर्ष जीवन याद कर मैं फिर खड़ा हो जाता हूँ। हमारे मेहनत व निष्ठा पर लोग हसते है परेशान करते है तो आपकी सुकूनभरी जीवन और धैर्य वाली मुस्कान महसूस कर खुद के मन को आपकी राह पर मोड़ देता हूं।
आपकी छोटी छोटी आँखे मुझे बड़ा परेशान करती हैं।जब मैं कहता हूँ की कुछ नही हो सकता हैं तब आप सख्त हो जाते हैं मुझे कामचोर कह कर डाँटते हैं।
आपके जाने के बाद हम सब बेहद अकेले हो गए हैं। इस आपाधापी दौड़ की जिंदगी व अकेलेपन ने हमे थोड़ा अक्खड़ और बदतमीज़ बना दिया है। आप मेरे सपने में आइयेगा तो हमे बताइयेगा दिल मासूम कैसे होता है।
हमे बताइयेगा मोहब्बत कैसे होती है। स्वार्थीपन, दिखावा, जलन व नीचे धकेलने वालो से कैसे बचें धैर्य से अपनी सोच के दीवार को कैसे मजबूत करे।
हमे उड़ने की नही पहले चलने की ट्रेनिंग दीजियेगा।
आपके जैसा हौसला ,मेहनती ,कर्मठता व बुद्धि नही है कि
अव्वल दर्जे का छात्र,प्रोफेसर,साइंटिस्ट, मिसाइल मैन, डॉक्टर,राष्ट्र्पति,भारत रत्न व भारत को विकसित करने की शक्ति । बस अपनी पढ़ाई व मेहनत से छोटा सा कार्यक्षेत्र में लोगो से जुड़ा हु उन्हें सेवा देने का भरपूर कोशिश कर रहा ताकी आपका 2020 के भारत का सपना में कुछ असर हो।
जब भी कोई कार्य करता हु तो ये जरूर सोचता हु आपके जैसे कोई मीले जो मेरी समाज उत्थान के प्रति निष्ठा,लगन और मेहनत का साथ दे मेरी भावना को थोड़ी सम्मान करे जिससे हमे प्रेरणा मिलती रहे। नमन है आप जैसे इन्सान को जिसने अपने काम ,अपनी सोच और अपने हौसले से राष्ट्रभक्ति की असल परिभाषा हमें समझाई। आपके द्वारा किए गये कार्य युगांतर युगांतर तक भारत के लिए गर्व रहेगा चाहे विज्ञान के क्षेंत्र में हो , मोहब्बत से देश को जोड़े रखना , विद्यार्थियों को मोटिवेटेड करना हो या समाज सेवा के क्षेत्र में अहम योगदान। आपके संघर्षों से सींचा हुआ भारत विजन2020 के सपने को साकार जरूर करेगा। आपकी हर एक बातें हमेशा युवाओं का मार्गदर्शन करती रहेंगी।
मैं गर्व से कह सकता हु भगत सिंह के बाद कोई बड़ा राष्ट्रभक्त है तो वो है कलाम साहब।
— राहुल प्रसाद