हे शिव शंकर
हे ! शम्भू हे! शिव शंकर,
हे! कैलाशी हे! महादेव।
हे!श्रवण मास के शुभदेवता,
है तुमको आज प्रणाम निवेदित।
आओ हृदय में निवास करो,
भारत का कुछ कल्याण करो।
दूर हतासा अंधकार हो,
सुंदर सुखमय जन जीवन हो।
प्रभु ऐसा कुछ सृजन कर दो,
युवा पीढ़ी विवेकानन्द कर दो।
घर-घर में मंगलगान हो जाये,
सावन में झूलों की बहार हो जाय।
— बाल भास्कर मिश्रा