आप की याद आई
पूजन की पावन प्रतिध्वनि सी,आप की याद आई ।
धूप दीप अक्षत चन्दन सी, आप की याद आई ।।
बाट जोहते सांझ सबेरे, नयन बावरे हारे।
रूठे मन के मीत मनाती आप की याद आई ।।
नेह और ममता की थाती,जलती जीवन बाती।
चातक मन की प्यास बुझाती,आप की याद आई ।।
फिर सुहाग के गीत गूंजते,सूने घर आंगन में
रस बरसाती, रास नचाती,आप की याद आई ।।
जलतंरग बजता प्राणो में ,बजी लाज की वंशी।
जनम, जमन के पुण्य जगाती ,आप की याद आई ।।
— कालिका प्रसाद सेमवाल