” करता सावन है ईशारे ” !!
बदले बदले हैं नज़ारे !
करता सावन है इशारे !!
अब न बादल की गरज है ,
अब न बिजली की कड़क है !
तरबतर है अभी सब तो ,
मीठी मीठी सी धड़क है !
गीत होठों पे सजे हैं ,
कोई मितवा को पुकारे !!
सजी देखो ये धरा है ,
रूप कानन ने भरा है !
कामिनी है चढ़ी झूले ,
अनंग का तीर चढ़ा है !
उमंगें हैं लरजती सी ,
मीठी मीठी सी फुहारें !!
कहीं कलकल है सरित का ,
कहीं झरनों की खनक है !
ताल है लेते हिलोरें ,
अब नहीं प्यासी झलक है !
फेरे सावन के पड़े हैं ,
बिखरे आँचल में सितारे !!
कहीं महकी है बहारें ,
लगी तितली की कतारें !
अलि गुंजन हैं सुनाते ,
बहे खुशबू के भी धारे !
जगी है आस सुहानी ,
पा गये फिर से किनारे !!