ग़ज़ल
थारा आटोग्राफ फोटो दुपट्टा चाहिए था
कहा रहती थारे घर का पता चाहिए था
थारे पे एक किताब लिखने का मन है
थारे से एक बार मुझे मिलना चाहिए था
सोचता जिंदगी खुशियो से भर जाती
तन्ने म्हारी जिंदगी में होना चाहिए था
मैंने इबादत में हमेशा थारा साथ माँगा
थारे सिवाय कुछ और ना चाहिए था
अपने हाथों की मेहंदी में बा ने नन्हा
थारा नाम कही लिखना चाहिए था
-शिवेश हरसूदी