राजनीति

घुसपैठ पर विरोधी दलों का विकृत चेहरा एक बार फिर उजागर

बांग्लादेशी घुसपैठ व रोहिंग्या को लेकर एक बार फिर मुस्लिमपरस्त राजनीतिज्ञों का विकृत चेहरा सामने आ गया है।ं असम की नागरिकता पर आधारित जो रिपोर्ट आयी है उसको लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री से लेकर उप्र की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती तक का खतरनाक चेहरा पूरे देश को दिखायी दे गया है। आज ये लोग सरकार बनाने के लिए व बीजेपी तथा पीएम मोदी की राजनीति को समाप्त करने के लिए देशद्रोह करने तक को तैयार हो गये हैं। ममता बनर्जी असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर की दूसरी सूची जारी होने के बाद देशभर में गृहयुद्ध के हालात पैदा होने तक की धमकी दे दी है। ऐसे ही बयान बसपा सुप्रीमो मायावती भी दे रही हैं तथा देवगौड़ा भी। अभी हाल ही में जब संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में आंखें मिचकाकर अपने नंबर जनता के बीच कटवा लिये थे, अब वही स्थिति आने वाले दिनों में ममता बनर्जी की होने जा रही है।
ममता बनर्जी ने एनआरसी के मुद्देपर गृहयुद्ध की बात कहकर बहुत बड़ा व खतरनाक देशद्रोह किया है। यह जिन्ना से भी अधिक खौफनाक महिला राजनीतिज्ञ बनती जा रही है। आज से 13 वर्ष पूर्व ममता बनर्जी का जो चेहरा था वह पूरी तरह से बदल चुका है। ममता बनर्जी ने बांग्लादेश घुसपैठ और रोहिंग्या समस्या पर जो रुख अपनाया वह राष्ट्रीय हितों व सामािजक सुरक्षा के पूरी तरह खिलाफ है। एक प्रकार से एनआरसी का विरोध करके उन्होंने असम की जनता व भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान किया है तथा उन्होंने एक प्रकार से असम की मूूल जनता की खुशियों पर वोटों के लालच में तुषारापात कर दिया है। अब देशवासियों को अपनी आंखें अच्छी तरह से खोल लेनी चाहिये ममता और मायावती किस प्रकार से अपनी गंदी और खतरनाक राजनीति को अंजाम देने जा रही हैं।
एनआरसी को लेकर बंगाल की विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया वह भी एक प्रकार से असंवैधानिक कृत्य ही है। ममता बनर्जी एनआरसी को लकर पता नहीं मुखर हो रही हैं या फिर भयभीत हो रही हैं यह तो भविष्य ही बतायेगा, लेकिन अब एनआरसी को उन्होंने मुस्लिम तुष्टीकरण करने के लिए एक बड़ा हथियार तो बना ही लिया है। राज्यसभा में चर्चा के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को अपना पूरा भाषण पढ़ने नहीं दिया जा रहा है क्योंकि उनके भाषण से इन विकृत मानसिकता वाले दलों की पोल खुलने जा रही थी। अमित शाह को भाषण देने से रोकना क्या माब लिंंिचंग नहीं है? सदन में सरकारी पक्ष को न बोलने देना भी अभिव्यक्ति की आजादी का हनन ही है। यह पूरी तरह से लोकतंत्र की हत्या है। एक सोची समझी साजिश के तहत विपक्ष ने सांसद अमित शाह व गृहमंत्री को सदन में अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी जबकि एक संासद होने के नाते उनका यह अधिकार है उनसे विपक्ष ने यह अधिकार छीना है।
ममता बनर्जी ने एनआरसी पर समर्थन जुटाने के लिए नई दिल्ली में डेरा डाल दिया और अपने अभियान के अंतर्गत सबसे पहले बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के पैर छूकर पता नहीं वह क्या दर्शाना चाहती है। ममता बनर्जी आडवाणी जी के पैर छूते समय यह भूल गयी कि यह वही आडवाणी जी हैं जिनकी वजह से घुसपैठियों के खिलाफ आज एक वातावरण बन गया है। आज ममता एनआरसी की रिपोर्ट को लेकर गृहयुद्ध की धमकी दे रही हैं लेकिन उनको यह नहीं पता कि आडवाणी जी भी बांग्लादेशी घुसपैठियो के खिलाफ रहे हैं तथा इस मुद्दे पर इनका स्टैंड साफ रहा है। राहुल गांधी का रवैया भी बहुत कुछ ऐसा ही है। आज यह देश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण दुखद तथा शर्मनाक क्षण है कि उनके पिता स्वर्गीय राजीव गांधी ने असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ जो स्टैंड लिया था वह अब उसके विपरीत जाने का संकेत दे रहे हैं। यह कैसी विकृत और घटिया राजनीति हो रही है? राहुल गांधी व कांग्रेस को अपना पुराना इतिहास भी अच्छी तरह से पढ़ना और समझना होगा अगर राहुल गांधी ने अपना रवैया नहीं सुधारा और केवल ट्विटर पर ही खोखली बयानबाजी करते रहे, तो उनकी राजनीति का अंत होना निश्चित है।
भाजपा अध्यक्ष व सांसद अमित शाह ने संसद में जो अधूरा बयान दिया है वह सत्य पर आधारित है। कांग्रेस पार्टी के ही तत्कालीन राज्यपाल जनरल एस के सिन्हा ने 1998 में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बताया था कि जिस प्रकार से बांग्लादेश से आबादी भारत में घुसती चली आ रही है, उससे असम में मूुलनिवासी बहुत जल्द अल्पसंख्यक हो जायेंगे। 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की और 2005 मे भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण असम बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से ग्रस्त है। उसने भारत सरकार को आदेश दिया कि वह संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत इससे निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये। 2018 में संसदीय पैनल ने भी बांग्लादेशी घुसपैठ को आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया। एक तरह हर तरफ से खतरे की घंटी बजती रही, तब ये ममता और माया जैसे लोग इतने मुखर और विकृत नहीं हुए थे।
आज यही सब देश विरोधी ताकतें एकत्र होकर रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के हितैषी बन गये है। आज जितने भी दल इन लोगों के प्रति अपना समर्थन दे रहे हैं तथा संसद को ठप्प कर रहे हैं वे सभी एक प्रकार से देशविरोधी व समाजविरोधी कृत्यों को अंजाम तक पहुंचाने वालों का भी समर्थन कर रहे हैं। अनेक मीडिया रिपोर्टोें तथा स्थानीय खुुिफया एजेंसियों के हवाले से यह कई बार साफ हो चुका है ये घुसपैठिये पहले चोरी-छिपे घुस आते हैं और फिर हर प्रकार के अपराध सुनियोजित तरीके से शुरू कर देते है।
देश के सभी पूर्वोत्तर राज्य आज ऐसे असामाजिक तत्वों की गतिविधियों से परेशान और आक्रांत हो रहे हैं। ये लोग मानव तस्करी, गौ तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी से लेकर हथियारों की तस्करी तक में संलिप्त हो जाते हैं। आज यही ममता बनर्जी और मायावती सरीखे जहरीले सांप पीएम मोदी, संघ तथा बीजेपी को समाप्त करने का जो सपना देख रहे हैं वह कभी भी नहीं पूरा होने जा रहा है। आज पूरा भारत इन घुसपैठियों से आक्रांत हो रहा है तथा उनको मानवीय आधार पर संरक्षण देने की बात को बकवास बता रहा है। अभी उप्र की राजधानी लखनऊ में तीन भीषण डकैतियां पड़ी थीं जिसका मास्टरमाइंड बांग्लादेशी घुसपैठिया ही था। आज मायावती बलात्कारियों तथा विदेशी डकैतों का खुला समर्थन कर रही हैं। देश की मीडिया को ऐसे नेताओं का बहिष्कार करना चाहिए और उनकी असलियत जनमानस के बीच रखनी चाहिए। यह देश के भयानक देशद्रोही और गद्दार चेहरे हैं जो समय रहते खुल रहे हैं।
ये दल एनआरसी पर आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी इस मुद्दे को उठाकर मतों का धुव्रीकरण कर रही है, जबकि मतों का असली और खतरनाक धुव्रीकरण कौन कर रहा है यह पूरा देश देख रहा है। ममता और माया वोट की राजनीति में प्रदेश व देश की जनता को भूल रही हैं। ममता का एनआरसी विरोध वास्तव में पश्चिम बंगाल के बेरोजगार युवाओं के अधिकारों पर चोट है। आज बंगाल में ममता की जमीन खिसकने लग गयी हैं। अब राज्य में उनका मुकाबला बीजेपी से ही होने जा रहा है। बीजेपी का कहना है कि ममता के बंगाल में घुसपैठिये बंगाल के युवा का अधिकार छीन रहे हैं तथा राज्य बीजेपी इकाई ने कहा है कि सरकार बनने के बाद बंगाल में भी एनआरसी करवायी जायेगी। ममता अब दीदी नहीं रही वह सत्ता की भूखी दादी हो गयी है, जिसने देश की सुरक्षा को ही दांव पर लगा दिया है। यह एक प्रकार से ममता और मायावती की माब लिंचिंग है।
मृत्युंजय दीक्षित