आया सावन झूम के
आया सावन झूम के, लेकर तुनक मिज़ाज
खोल दिया मौसम ने अपना छुपा हुआ सब राज
भीग गई गोरी बीच डगर रिमझिम बरसात में
कर याद पिया को बेकाबू हुई आके जज़्बात में
जीवन भारी नीरस हुआ, बीत रहीं सूनी-सूनी रातें
खाली सेज, याद आवें पिया की मीठी-मीठी बातें
बिजली चमके, बादल गरजे, मनवा बेचारा अति तरसे
बड़ा खराब जमाना, डर की मारी बाहर न निकली घरसे
सब भूल चुकी प्यार-मुहब्बत, अग्नि लगी यौवन में
बस गर्द का अम्बार दिखे झमाझम बरसते सावन में
संभल-संभल पग रखती, मोर नृत्य में कहीं बहक न जाये
बैठी आस लगाये, पिया परदेश से घर वापिस कब आये
आया सावन झूम के, लेकर तुनक मिज़ाज
खोल दिया मौसम ने अपना छुपा हुआ सब राज
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा