साइबर अटैक
कम्प्यूटर और मोबाइल से आज सूचनाओं और डेटा का आदान-प्रदान काफी सुगम हो गया है. पर आये दिन प्राप्त समाचारों और घटनाओं के आधार पर यह उतना ही जोखिम भरा भी हो गया है. तकनीक में वृद्धि जहाँ लोगों की मदद कर रहा है, वहीं हमारी निजता भी प्रभावित हो रही है. स्मार्ट मोबाइल के कारण और सोशल मीडया के बढ़ते इस्तेमाल से अब कुछ भी गोपनीय नही रह गया है. हमारी निजता और निजता से सम्बंधित डेटा का भी दुरूपयोग होने लगा है. अभी हाल ही में खबर आई कि लोगों के मोबाइल फोन में अचानक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के नाम से एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर सेव हो गया, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर हंगामा होने लगा और लोग यूआईडीएआई की आलोचना करने लगे, मगर मोबाइल फोन में यूआईडीएआई के नाम से नंबर सेव होने के मामले में गूगल ने अपनी जिम्मेवारी ले ली है. गूगल ने यह कबूल कर लिया है कि लोगों के मोबाइल फोन में दिखने वाले नंबर में उसकी गलती है. उसकी गलती की वजह से लोगों के फोन में यह नंबर दिखा. इससे पहले यूआईडीएआई के ऊपर सवाल उठ रहे थे, मगर बाद में उसने कहा कि उसने किसी फोन निर्माता या दूरसंचार सेवा प्रदाता को मोबाइल फोन में अपना टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर पहले से डालने के लिए नहीं कहा है. प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि एंड्रायड फोन में पाया जा रहा हेल्पलाइन नंबर 1800-300-1947 पुराना और अमान्य है.
लेकिन इसके बाद में गूगल ने अपनी गलती कबूली और कहा कि इस यूआईडीएआई विवाद में उसकी भूमिका है. दरअसल, शुक्रवार को ही देर शाम स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करने वाले कई यूजर्स के मोबाइल फोन की लिस्ट में UIDAI के नाम से एक टोल फ्री नंबर सेव होने को लेकर उठे विवाद पर गूगल की ओर से एक बयान आया. गूगल ने कहा कि उसने एंड्रॉयड फोन बनाने वाली कंपनियों को दिए जाने वाले शुरुआती सेटअप में यह नंबर डाला था और उसी की वजह से यह कई सारे यूज़र्स के नए एंड्रॉयड मोबाइल फोन में भी ट्रांसफ़र होकर सेव हो गया. हालांकि, गूगल ने कहा है कि अगले कुछ हफ्तों में इसे फिक्स कर दिया जाएगा.
गूगल ने यूआईडीएआई विवाद पर अपनी गलती कबूलते हुए कहा कि लोगों के फोन में जो नंबर सेव हो रखे हैं, उसमें भारत या भारत के किसी अथॉरिटी का कोई लेना देना नहीं है. यह एक सॉफ्टवेयर इश्यू की वजह से है. गूगल ने कहा कि इस नंबर को साल 2014 में स्मार्टफ़ोन बनाने वाली कंपनियों को दिए जाने वाले शुरुआती सेटअप वाले प्रोग्राम में डाला गया था. गूगल ने कहा कि ‘एंड्रॉयड’ गूगल द्वारा विकसित किया गया मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे स्मार्टफ़ोन्स और टैबलेट्स में इस्तेमाल किया जाता है. गूगल ने लिखित बयान में कहा है, “हमने इंटरनल रिव्यू में पाया है कि साल 2014 में भारतीय स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों को दिए जाने वाले सेटअप विज़र्ड में हमने उस समय का UIDAI हेल्पलाइन नंबर और आपातकाल सहायता नंबर 112 कोड कर दिया था. यह तभी से उसी में हैं. चूंकि ये नंबर किसी यूज़र की कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव होते हैं, इसलिए वे उनके नए डिवाइस के कॉन्टैक्ट्स में भी ट्रांसफर हो जाते हैं. इसके कारण किसी तरह कि दिक्कत हुई हो तो हम खेद प्रकट करते हैं. हम भरोसा दिलाते हैं कि यह ऐसी स्थिति नहीं जिसमें आपके एंड्रॉयड डिवाइसेज़ को अनाधिकृत तरीके से एक्सेस किया गया है. यूज़र अपने डिवाइस से इस नंबर को डिलीट कर सकते हैं.”
आगे गूगल ने कहा है, “हम आने वाले सेटअप विज़र्ड के नए संस्करण में इसे ठीक करने की कोशिश करेंगे जिसे आने वाले कुछ हफ्तों में स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों को उपलब्ध करवा दिया जाएगा.” इस तरह से देखें तो अगर किसी के एंड्रॉयड डिवाइस के कॉन्टैक्ट्स गूगल अकाउंट से सिंक (जुड़े) हैं तो उस गूगल अकाउंट से सिंक अन्य सभी डिवाइस में पुराने डिवाइस के नंबर आ जाएंगे. गूगल सॉफ्टवेयर सर्विस की सबसे बड़ी अन्तराष्ट्रीय कंपनी है इसके द्वारा इस प्रकार की गलती भी बड़ी गलती कही जायेगी, हालाँकि इससे अभीतक किसी बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है. पर घटनाएँ ऐसी ही घटती है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है.
कुह दिन पहले भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष आर. एस. शर्मा ने आधार की सुरक्षा का पुख्ता दावा करते हुए अपना 12 अंकों का आधार नंबर जारी करते हुए कहा था कि अगर इससे सुरक्षा से जुड़ा कोई खतरा है, तो कोई मेरे आंकड़े लीक करके दिखाए और उनकी इस चुनौती के कुछ घंटे बाद ही उनके आंकड़े लीक हो गए. इलियट एल्डरसन उपनाम वाले फ्रांस के एक सुरक्षा विशेषज्ञ का ट्विटर हैंडल ‘एट एफएसओसी131वाई’ है. उन्होंने ट्वीट्स की श्रृंखला में शर्मा के निजी जीवन के कई आंकड़े, उनके 12 अंकों की आधार संख्या के माध्यम से जुटाकर जारी कर दिए, जिनमें शर्मा का निजी पता, जन्मतिथि, वैकल्पिक फोन नंबर आदि शामिल है. उन्होंने इन आंकड़ों को जारी करते हुए शर्मा को बताया कि आधार संख्या को सार्वजनिक करने के क्या खतरे हो सकते हैं. एल्डरसन ने लिखा, “आधार संख्या असुरक्षित है. लोग आपका निजी पता, वैकल्पिक फोन नंबर से लेकर काफी कुछ जान सकते हैं. मैं यही रुकता हूं. मैं उम्मीद करता हूं कि आप समझ गए होंगे कि अपना आधार संख्या सार्वजनिक करना एक अच्छा विचार नहीं है.” सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई करता रहता है और सरकार को दिशा निर्देश जारी करता रहता है. सरकार भी यथेष्ठ कदम उठाती ही है, ताकि किसी को कोई नुक्सान न हो.
शर्मा, आधार परियोजना के सबसे बड़े समर्थकों में से माने जाते हैं. उनका अभी भी कहना है कि यह विशिष्ट संख्या किसी की निजता का उल्लंघन नहीं करता है तथा सरकार को इस तरह के डेटाबेस बनाने का अधिकार है, ताकि वह सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत नागरिकों को सब्सिडी दे सके. आधार को लेकर निजता की चिंता का मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच चुका है और कार्यकर्ताओं से लेकर आम जनता तक को डर है कि उनका 12 अंकों का बायोमीट्रिक नंबर कहीं निजता के लिए हानिकारक तो नहीं है. शर्मा का कार्यकाल नौ अगस्त को समाप्त हो रहा है.
एल्डरसन ने आधार संख्या की मदद से शर्मा के निजी फोटो तक ढूंढ़ निकाले और ट्वीट कर प्रकाशित करते हुए लिखा, “मैं समझता हूं कि इस तस्वीर में आपकी पत्नी और बेटी हैं.” एंडरसन आधार डेटा प्रणाली की सुरक्षा से जुड़ी खामियों का खुलासा करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने शर्मा से जुड़ी कई सारी जानकारियां और तस्वीरें प्रकाशित की, हालांकि उनमें कई संवेदनशील हिस्सों को ब्लर कर प्रकाशित किया, ताकि शर्मा की निजता को कोई नुकसान न हो. उनके द्वारा प्रकाशित तस्वीरों में शर्मा का पैन कार्ड भी शामिल था, हालांकि उसके नंबरों को एंडरसन ने ब्लर कर दिया था.
पिछले साल मई महीने में रैनसमवायर नामका वायरस ने दुनिया के कई कम्प्यूटर्स लॉक कर दिया था जिसके चलते काफी आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ा था. विभिन्न प्रकार के हैकर्स इन प्रकार के कामों में लगे रहते हैं और अनैतिक रूप से आर्थिक नुक्सान पहुंचाते हैं. ऐसे हैकर्स किसी देश की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ कर सकते हैं, करते भी हैं.
कभी कभी किसी के व्यक्तिगत खाता से रुपये निकल जाते हैं और उसे बाद में पता चलता है. ऐसे मामलों में कई बार बैंक अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेता है. नुक्सान तो किसी आम आदमी का ही हो जाता है. हालाँकि तकनीकी सुधार हर समय होता रहता है और बैंक तथा आंतरिक सुरक्षा सम्बन्धी मामलों में विशेष सावधानी रखी जाती है. हम सबको भी सावधानी बरतनी चाहिए और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक मंचों पर नहीं रखनी चाहिए. पासवर्ड आदि बीच-बीच में बदलते रहना चाहिए.
समाचार पत्रों और दृश्य मीडिया के द्वारा आम लोगों को सावधान करते रहने की जरूरत है साथ ही हम सबको अपनी सावधानी तो बरतनी चाहिए अपने लोगों को भी सावधान करते रहना चाहिए. हाँ अफवाहों से भी बचने की जरूरत है. सरकार और सर्विस प्रोवाइडर्स को भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
हम सभी डिजिटल होते जा रहे हैं, यह समय की मांग भी है पर सुरक्षा पहली जिम्मेवारी है. हमारे निजी डेटा की चोरी न हो यह माननीय न्यायालय का भी मानना है. हम विकसित हो रहे हैं उतने ही हमारे बीच शातिर लोग भी विकसित हो रहे हैं जो अपने दिमाग का इस्तेमाल किसी के खिलाफ षड्यंत्र करने या किसी को ब्लैक मेल करने में करते हैं जिनसे उनका अपना नाजायज हितसाधन होता है. ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने चाहिए. तभी हम डिजिटल इण्डिया या डिजिटल वर्ल्ड की तरफ आगे बढ़ सकते हैं. उम्मीद है सभी सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर अपना सिस्टम को फुल प्रूफ बनाने की कोशिश करेगी ताकि लोगों में विश्वास बना रहे. विश्वास के साथ ही हम एक दूसरे से जुड़े हैं और सारा विश्व एक प्लेटफार्म पर आ गया है. राजनीतिक और भौगोलिक विभाजन भी तकनीक को विकसित होने से रोक नहीं सका है. हम पृथ्वी को छोड़ दूसरे ग्रहों की तरफ भी बढ़ रहे हैं. इन सब में अत्यंत सावधानी की जरूरत होती है. हम जरूर विकसित होंगे सभी बाधाओं को पार करते हुए. हर समस्या का समाधान भी अवश्य निकलता है.
जय हिन्द! जय भारत! जय जवान! जय किसान! जय विज्ञान!
— जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर