ग़ज़ल
यूँ ना बेमतलब मुझे सताया करो
बेवजह झूठी आस ना दिलाया करो
भँवरा बन फूलों पर, मँडराते हो
यूँ ना दिल हर किसी पर लुटाया करो।
खेलों ना मेरे, अहसासों के साथ
किया हमने प्यार, रिश्ता निभाया करो।
तुझे खोने का डर, मुझे सताता है
लगाके गले, दिलासा दिखाया करो।
इश्क़ होता एक बार, ये समझले तू
सवाल प्यार पर ”सुवी” न उठाया करो।
— सुवर्णा परतानी