कविता

कविता – सावन

काहे का सावन रे सखिया,
जब साजन बसे परदेश !
रात बिजुरिया चमक डराये,
जिया मे बने कलेश !!

रिम-झिम-रिम झिम बरसे सावन,
देख नाग-नागिन का रूप!
वो नागन फिर कैसे जिऐ,
जाके घर ना भूप !!

काली बदली,झिगूर की बोली,
मेढक की टर्र-टर्र बोल !
रात-रात भर नैना रोते,
जब सोए खिड़की खोल !!

सखिया सब ताने मिल मारे,
बार-बार हंसे चिढाये !
देख सखी इस बिरहन की नाड़ी,
सखिया ना मर जाये!!

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से