गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

क्या बताऊँ क्यों नहीं सुनता हूँ मैं

हर घड़ी हैवान से लड़ता हूँ मैं

देख वह ले जा रहा है आदमी

दौड़ कर रोको उसे कहता हूँ मैं।।

फूलकर कुप्पा हुआ सहकार पा

कब उठेंगे हाथ बस तकता हूँ मैं।।

राम आए थे बता लंका से कब

राक्षसों से नित्य ही लड़ता हूँ मैं।।

उठ रही है चींख सुनता कौन है

कौन है बहरा बता कुढ़ता हूँ मैं।।

गा रहे सब रोज कीर्तन भाव से

दे रहे हो दर्द तुम सुनता हूँ मैं।।

बोल गौतम बोल जो है बोलना

तख्त तेरा घाव दे सहता हूँ मैं।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ