मुक्तक/दोहा

“मिलन मुक्तक”

5-8-18 मित्र दिवस के अनुपम अवसर पर आप सभी मित्रों को इस मुक्तक के माध्यम से स्नेहल मिलन व दिली बधाई,

भोर आज की अधिक निराली ढूँढ़ मित्र को ले आई।

सुबह आँख जब खुली पवाली रैन चित्र वापस पाई।

देख रहे थे स्वप्न अनोखा मेरा साथी आया है-

ले भागा जो अधर कव्वाली मैना कोयलिया गाई।।

महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ