सामाजिक

दोस्ती हमेशा एक मधुर जिम्मेदारी है!

“कोई तो होना ही चाहिए यार !
जो  बिन कहे ही खामोशी समझ ले”
ये जिन्दगी भी बहुत अजीब होती है न जितना समझने का हम प्रयास करते है उतना उलझते ही जाते है। आजकल तो सभी लोग अपनी जिन्दगी में बहुत व्यस्त है सब तरफ भागदौड़ भरी पड़ी है और काम निकालना , मौकापरस्ती, स्वार्थीपन व झूठ का प्रचलन तो मानिए मनुषत्व पर ग्रहण हो। किसी के पास किसी के लिए अब वक्त नहीं बचा आधुनिक दुनिया में। इसी भागदौड़ भरी जिन्दगी में कुछ पल निकालकर कोई आपसे यह पूछे (केम छो) तुम ठीक तो हो न? यह वाक्य भले ही  छोटा हो परन्तु यह अपनत्व जताता है और हमें यह महसूस होता है कि इस भीड़ भरी दुनिया में कोई तो है जिसको हमारी फिक्र है दूर होकर भी।यह आपस में नजदीकियां लाता है हमारे मन में एक-दूसरे के लिए। आज भले ही लोग पैसे के पीछे भाग रहे है पैसे की हवस ने शांति सुकून खा गया है  अपने  जीवन के अनुभव से ताल ठोक के कह सकता हु
इंसान स्नेह प्यार दोस्ती का सबसे ज्यादा भूखा होता है।
जीवन मे सच्चे इंसान से दिल का रिश्ता(मित्रता) जुड़ने से बड़ा कोई भी सुखद हो नही सकता।
जिन्दगी का हर लम्हा खुशनुमा हो जाता है जब हमारे जगने से लेकर सोने तक हर सुख दुख पर नजर रखता जब कही दूर जाता है ” अपना ख्याल”  रखना बोल देता है तो लगता है वो हमारे अपनों के जैसा है। यदि हमारा जुड़ाव मन से हो तो सच में वो हमेशा जुड़ा रहता है वह तो कभी न छूटता है।खामोशी में भी एक-दूसरे को सुनने लगते है। वैसे खामोशी की अभिव्यक्ति तो अपने आप में पूर्ण होती है। हम तो खामोशी में भी अच्छे से समझते है एक-दूसरे को।
यानी कि हम कह रहे है आज की भागादौड़ी मे एक भी ऐसे दोस्त है आपके पास तो धन्य मानिए बहुत खुशकिस्मती है आप (अभी तक न हो कोई सच्चा दोस्त तो अपने मन के अनुरूप दोस्त ढूंढ निकालिए)। आप भी उसे समझे उससे कहीं ज्यादा निष्ठापूर्वक मित्रता निभाइए और गर्व कीजिए इस पर कि जीवन मे कोई तो है जो मेरे मन के समरूप है बिन  कहे भी मेरी सारी खामोशिया समझ लेता है। एक पंक्ति में कहू तो ” एक सच्चा मित्र अपने मित्र के विषय में
 उससे भी अधिक जानता है “
मैथिलीशरण गुप्तजी  की एक सुन्दर कविता से दोस्ती को और भी मजबूत करना सीखिए।
      तप्त हृदय को , सरस स्नेह से ,
     जो सहला दे , मित्र वही है।
     रूखे मन को , सराबोर कर,
     जो नहला दे , मित्र वही है।
     प्रिय वियोग  ,संतप्त चित्त को ,
     जो बहला दे , मित्र वही है।
     अश्रु बूँद की , एक झलक से ,
     जो दहला दे , मित्र वही है।
यकीन मानिए ऐसी ही सच्ची यारियां रही न ! तो अंतिम समय में भी आपके आंसू बोल पड़ेंगे
“तेरे जैसा यार कहा!”
राहुल प्रसाद

राहुल प्रसाद

पलामू झारखंड एसबीआई कर्मचारी मोबाइल 8210200106 ब्लॉग - https://topkahani.blogspot.in