कविता

कविता – देश

मंदिर में फूल चढ़े न चढ़े, उस राह में फूल चढ़ा देना ।

जो देश पर मिटने जाते है, अपना भी हाथ बढ़ा देना ।।

माता अपनी है -अपनी है -ये जन्म भूमि भी माता है ।

दौलत कुछ भी नहीं- जिसको -माँ का आदर आता है ।।

दीवानों से ये मत पूछो -जो अपनी धरती को प्यार करे ।

सुबह -शाम क्या होती है -बस दुश्मन पर वो वार करे ।।

हद की भी हद हो सकती है -दीवानेपन की हद ही नहीं ।

वो खून नहीं वो पानी है, जिसे देश का अपने मद ही नहीं ।।

आज नहीं तो कभी नहीं -फिर आती कहाँ जवानी है ।

जब देश पुकारा उठा नहीं -वो खून नहीं वो पानी है ।।

जय हिंद -जय भारत -वन्दे मातरम ।।

— हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से