कविता – देश
मंदिर में फूल चढ़े न चढ़े, उस राह में फूल चढ़ा देना ।
जो देश पर मिटने जाते है, अपना भी हाथ बढ़ा देना ।।
माता अपनी है -अपनी है -ये जन्म भूमि भी माता है ।
दौलत कुछ भी नहीं- जिसको -माँ का आदर आता है ।।
दीवानों से ये मत पूछो -जो अपनी धरती को प्यार करे ।
सुबह -शाम क्या होती है -बस दुश्मन पर वो वार करे ।।
हद की भी हद हो सकती है -दीवानेपन की हद ही नहीं ।
वो खून नहीं वो पानी है, जिसे देश का अपने मद ही नहीं ।।
आज नहीं तो कभी नहीं -फिर आती कहाँ जवानी है ।
जब देश पुकारा उठा नहीं -वो खून नहीं वो पानी है ।।
जय हिंद -जय भारत -वन्दे मातरम ।।
— हृदय जौनपुरी