कविता

घिर रही बदरिया 

घनन घनन घिर रही बदरिया
नभ पर देखो छाए है
रिमझिम रिमझिम बरसे तो
मतवाला दिल हो जाये है
सावन में मोहे लागे नीको
मन में हूक उठाये है
नाचे मयूरा कूके कोयलिया
मन चंचल हो जाये है
ऐसे मे तू आजा सांवरिया
काहे को तरसाये है
डार के झूला संग झूलेंगे
सोच के मन हर्षाये है।
—  डॉ. माधवी  कुलश्रेष्ठ

डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

पिता का नाम स्व . श्री हरेंद्र पाल कुलश्रेष्ठ पति का नाम श्री अरविन्द कुलश्रेष्ठ वर्तमान पता सी -14 न्यू आगरा फोन न . 9412426559 8218644036 ;8193909436 शिक्षा . एम॰ ए एम .एड पी .एच डी . (हिन्दी ..मनोविज्ञान इतिहास और संगीत गायन ) व्यवसाय - प्रधानाचार्य काव्य कलश सम्मान , भाव-भूषण सम्मान , और भी कई शाखाओं में उच्च पदों पर रहकर समाज सेवा कर रही हूँ लेखन कार्य भी करती हूँ । साझा संकलन भी छप चुके हैो