लघुकथा

लघुकथा – इत्तफ़ाक

रात भर बुखार था सईदा को सुबह की धूप आंखो पर पड़ी तो उठ बैठी सारा बदन टूट रहा था, सोची थी रईस आएगा तब दवा ला देगा , पर वह आया ही नहीं, ऐसा पहले भी  हुआ कि वह रात को लौटा ही नहीं। अभी तक आया नहीं कहां रह गया ये लड़का विधवा सईदा बड़बड़ रही थी। दोपहर हो गई पर रईस नहीं आया।
इकराम के घर पता करके आती हूँ, दवाई भी ले आऊंगी बड़बड़ाती दुपट्टा उठाकर बाहर निकली चिलचिलाती धूप थी चेहरा दुपट्टे से लपेट कर ढक लिया। इकराम की अम्मी ने बताया कल से इकराम भी नहीं लौटा , आपा शहर की फिज़ा बदली हुई है लोग मरने मारने पर उतारू हैं और ये दोनो जाने कहां गायब हो गये हैं ।
‘शहर में दंगा हो गया क्या’ सईदा चौंक कर बोली।
‘नहीं आपा कल दोपहर बाद एक बच्ची का बलात्कार हो गया और उसकी लाश स्कूल के पास पड़ी मिली है .. लोग बेहद गुस्से में हैं।’
‘क्या ?’ सईदा का मुंह खुला का खुला रह गया। वह सोच रही थी यह “इत्तफाक़” नहीं हो सकता पिछली बार भी रईस और इकराम गायब थे दो दिन और तब भी बलात्कार की घटना हुई थी… या अल्लाह .. क्या रईस और इकराम ने…
बूढ़ी सईदा दुःख और शर्म से कांप उठी ।
अनुपमा सोलंकी

अनुपमा सोलंकी

जन्म-१.३.१९६३ जन्म स्थान - ग्वालियर ,मध्य प्रदेश शिक्षा - स्नातकोत्तर इतिहास के. आर .जी .कॉलेज ग्वालियर , मध्य प्रदेश प्रकाशित रचनाएं - लघुकथाएं १ -सुनयना २ -देशप्रेम । नई रोशनी नई पहल साझा संकलन में Email [email protected]