कविता

आरक्षण की आग

आरक्षण की आग देश मे चारों ओर है फैली
ना जाने इसने अब तक कितनों की जानें ले ली
हर कोई अपनी बीन बजाता नहीं किसी को भान
आरक्षण के रोग ने देखो खूब किया नुकसान
अपनी अपनी डफली है और अपना अपना राग
रोज नया एक वर्ग चाहता इसमें अपना भाग
आरक्षण की गरज है उन्हें जो गरीबी में पलते हैं,
सदियों से जो अन्याय की चक्की में पिसते हैं,
वैसे तो हम जात पाँत से रहना दूर सिखाते
आरक्षण के नाम पे देखो सब कोई टाँग अड़ाते
हुनर छुपा है अगणित सब में नहीं किसी को दिखता
आरक्षण और भ्रष्टाचार में होनहार है पिसता
जो योग्य है सबसे ज्यादा उसे ही रोक रहे हैं
भारत माँ का भाग्य खुद ही आग में झोंक रहे हैं
पढ लिखकर के लोग हमारे अब विदेश में जाते
क्योंकि अपनी क्षमता को वो यहाँ दिखा नहीं पाते
इस असाध्य रोग का केवल एक ही बचा इलाज
आरक्षण हो बंद सफल हों तब ही सारे काज।
$पुरुषोत्तम जाजु$

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन