कविता – आज़ाद हिंदुस्तान
हम स्वाधीनता दिवस की खुशियाँ मनाने निकले हैं।
तिरंगे के खातिर हम अपनी जान लुटाने निकले हैं।।
सरहद पर सैनिक हमारे रोज रोज ही शहीद होते हैं।
हम भारत माँ की रक्षा में हथियार लेकर निकले है।।
दुश्मन का सिर कलम करें संकल्प लेकर निकले हैं।
हम आज़ादी के प्रहरी सीना तान लेकर निकले हैं।।
कारगिल को फतह किया हमने फौलादी ताकत से।
भारती की रक्षा में प्राण न्योछावर करने निकले हैं।।
खा कर तिरंगे की कसम घरों से बाहर निकले हैं।
वंदे मातरम के खातिर हम अग्निपथ पर निकले है।।
रणबांकुरे हम रण में कभी पीठ नहीं दिखलाते हैं।
बैरी की छाती पर हम अब कील ठोकने निकले हैं।।
दुश्मन के नापाक इरादों को अब बक्शा नहीं जाएगा।
भारत माँ की रक्षा में आज़ादी के दीवाने निकले है।।
— कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी