“कुंडलिया”
ममता माँ की पावनी, छाया पिता दुलार।
वंश बेल सम्यक प्रकृति, चर्चित बालक प्यार॥
चर्चित बालक प्यार, रार कब करते तरुवर।
शिशु से है संसार, स्नेह का सागर प्रियवर॥
कह गौतम कविराय, हृदय की मोहक क्षमता।
खेल रहा प्रिय गोद, पिता मन विह्वल ममता॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
अहा! अति सुंदर।
बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया अधर जी, स्वागतम