कुंडलियां छंद
आजादी को देश की, बीते कितने साल
वीरों के बलिदान से, हुई धरा ये लाल
हुई धरा ये लाल, दर्द में डूबी जाए
खोया जो सुख चैन, कौन वो फिर से लाए
गौरों का था खेल, हुई उनकी बर्बादी
कितने सहकर कष्ट, मिली हमको आजादी
— डॉ सोनिया गुप्ता
आजादी को देश की, बीते कितने साल
वीरों के बलिदान से, हुई धरा ये लाल
हुई धरा ये लाल, दर्द में डूबी जाए
खोया जो सुख चैन, कौन वो फिर से लाए
गौरों का था खेल, हुई उनकी बर्बादी
कितने सहकर कष्ट, मिली हमको आजादी
— डॉ सोनिया गुप्ता