गीतिका/ग़ज़ल

मुतल्ला गजल

जान लेंगी मेरी आज ये हिचकियां
याद आती रही वस्ल की मस्तियां

रास आने लगी जब से तन्हाइयां
फुसफुसाती रही रात भर आंधियां

कोई जाने हमारी न मजबूरियां
दूर रहकर बनाई हैं नजदीकियां

उम्र दर उम्र करते रहे गलतियां
जान कर भी बजाते रहे तालियां

इश्क में बारहा लग चुकी अर्जियां
पर हुई इश्क में कितनी बदनामियां

यूं हजारों रही मुझमें ही खामियां
ढूढ़ता रह गया कागजी – गलतियां

खूब सजती रही शौक से थालियां
याद आती रही मां तेरी रोटियां

गुनगुनाती रही है यहां आंधियां
फूलो सी जब महकने लगी वादियां

इश्क़ में जो हुई मेरी बदनामियां
आती हैं याद अक़्सर वही तालियां

— कुमार अरविन्द

कुमार अरविन्द

नाम - कुमार अरविन्द ( अरविन्द शुक्ला ) पिता का नाम - राम बहादुर शुक्ला पता - ग्राम - बंजरिया , पोस्ट विशुनपुर संगम , इंटियाथोक गोंडा यूपी ( 271202 ) शिक्षा - वनस्पति शास्त्र में परास्नातक लेखन शैली - गजल मोब. - 9415604118 दैनिक हमारा मेट्रो , वर्तमान अंकुर , राष्ट्रीय सहारा , दैनिक भास्कर अमर उजाला , अमर उजाला काव्य और बेव पत्रिकाओं जैसे कागज़ दिल , सावन , आदि में प्रकाशित