धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

उमंग और उत्साह का पर्व :हरियाली तीज

भारतीय संस्कृति में पर्व,उत्सव ओर त्यौहार। अपने आप मे एक नया संदेश लेकर आते है।श्रावण का महिना मुख्यतः महिलाओं के लिए उत्साह और उमंग का प्रतीक होता है।श्रावण मास में कन्याओं औऱ सुहागनों के लिए हरियाली तीज का बड़ा विशेष महत्व होता है।
तीज का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को  पूरे उतरी भारत मे उमंग ओर उल्लास से मनाया जाता है।
  ये महिलाओं  का त्योहार माना जाता है।इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे  दिन व्रत रखती है।और अपने हाथों और पैरों पर सुंदर सुंदर मेहंदी लगाती है।जिनकी मेहंदी अच्छी रचती है तो उसे शुभ माना जाता है।और पूर्ण श्रंगार  करती है,हरे वस्त्र पहनती है तो हरे रंग के कंगन ,चूड़ियां पहनती है। पूरे दिन एक समूह के रूप में ंमस्ती और उमंग से नाचती, गाती घूमती है।
झूले पर झूलती है।सभी एक दूसरे को प्यार और स्नेह से झूलाती है।
तीज पर सिंजारा
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नव विवाहित युवती शादी के बाद आने वाले प्रथम श्रावण मास में ससुराल में सास के साथ नही रहती है।और पीहर यानी माँ के घर आजाती है।मास के खत्म होने पर ससुराल जाती है।ऐसी परंपरा है जो चली आरही है।
 ओर युवती के ससुराल से उसके मायके में सिंजारा लेकर आते है।
सिंजारे में नव विवाहिता के साड़ी, सूट, आदि कपड़े, श्रृंगार का सामान, चूड़ियां, कंगन, घेवर, मिठाइहोती है।
  तीज का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए ओर कुँवारी युवतियां सुंदर और योग्य पति की कामना के लिए यह व्रत रखती है। साय को यह भगवान शिव और पार्वती की की पूजा अर्चना करती है। और चंद्रमा को अर्क देकर ,पूजा करके व्रत को खोलती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये पूजा शिव और पार्वती की पूजा मानी जाती है।
प्रवासी भारतीय महिलाएं  भी विदेशो में भी इस तीज के त्यौहार को बड़े उत्साह और उमंग से परंपरागत ढंग से मनाती है।
  प्रसिद्ध साहित्यकार,लेखक डॉ पूनम माटिया  का कहना है।
“भारतीय संस्कृति के व्रत और त्यौहार अपने साथ एक संदेश ही नही  उमंग ओर उत्साह का संचार भी करते है। ये पर्व औऱ त्यौहार की परंपराएं हमे एक दूसरे से जोड़े रखती है। हमारे में आपसी स्नेह और अपनापन बनाये रखते है। हमे परंपराओं से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।”
 हरियाणा से लेखक रीना गोयल का कहना है।
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आज सुबह से बहुत रोनक है घर मे  क्यूं न् हो तीज जो है आज
 पतिदेव अछि सी साड़ी ओर शृंगार का सारा सामान अपने हाथों से खरीद कर लाये हैं मेरे लिए
मन मे बहुत उमंगे है ,पिया। के प्रति मीठा सा भाव भर गया मन में
आज तो मिष्ठान भी बनेंगे  ।
खास तौर पर घेवर
में तो खूब खाने वाली हूँ ।
बडों का बहुत दुलार मिलता है आज के दिन ।
 आँगन में झूले ,तीज के गीत , बहुत सी बातें  ताजा हो गयी ।
  हर ओर से खूब  बधाइयाँ पाकर मन बहुत  प्रस्सन है ।
मेरी यही कामना है इस अवसर पर सबके दिलों में यूँ ही प्यार बना रहे ।
शम्भू पंवार

शम्भू पंवार

ब्यूरो चीफ ट्रू मीडिया, दिल्ली चिड़ावा, 8058444460 [email protected]