कविता – तुम रुलाते बहुत हो!!
तुम रूलाते बहुत हो !!
अब भी मेरी नजरो मे,आते बहुत हो ।
हे श्याम हमको,तुम रूलाते बहुत हो।।
धूप मे परछाई सा,रात मे कोई छाई सा ।
सागर मे गहराई सा,तुम रूलाते बहुत हो।।
रात को सोने मे,हाथ से मुँह धोने मे ।
हाथ की हथेली मे,तुमआते बहुत हो।।
राह मे आहट बन,तनहाई मे चाहत बन।
गगन मे तारा बन,तुम लुभाते बहुत हो।।
कभी राह चलने मे,आहट से डरने मे।
पैर तले कंकड़ सा,तुम सताते बहुत हो ।।
चाहे मै रसोई रहू,या कि मै सोई रहू ।
आखो मे आँसू बन,आते बहुत हो ।।
बस रूलाते,बहुत हो !!!
— हृदय जौनपुरी