कविता

आज़ादी

कर लो नमन उनको,
जिन्होंने दिलाई आज़ादी हमको।

क्या वाक़ई हम आज़ाद हुए हैं?
या अपने ही अपनो को मार रहे हैं।
बँट गया भारत माँ का कलेज़ा,
तर-बितर छितरा हुआ सा।।
कर लो नमन उनको …

सब वोट लेने का है फ़ंडा ,
चाहे फिर आरक्षण ही क्यों ना हो।
रो रही आत्मा शहीदों की,
क्या इस दिन के लिये हम शहीद हुए हैं?
कर लो नमन उनको……..

— नूतन (दिल्ली)

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक