आज़ादी
कर लो नमन उनको,
जिन्होंने दिलाई आज़ादी हमको।
क्या वाक़ई हम आज़ाद हुए हैं?
या अपने ही अपनो को मार रहे हैं।
बँट गया भारत माँ का कलेज़ा,
तर-बितर छितरा हुआ सा।।
कर लो नमन उनको …
सब वोट लेने का है फ़ंडा ,
चाहे फिर आरक्षण ही क्यों ना हो।
रो रही आत्मा शहीदों की,
क्या इस दिन के लिये हम शहीद हुए हैं?
कर लो नमन उनको……..
— नूतन (दिल्ली)